रात में बारिश बहुत हुई। सवेरे आसमान में बादल थे, पर पानी नहीं बरस रहा था। घूमने निकल गया। निकला जा सकता था, यद्यपि घर से गंगा घाट तक जाने कितने नर्क और अनेक वैतरणियाँ उभर आये थे रात भर में। पानी और कीचड़ से पैर बचा कर चलना था। घाट की सीढ़ियों के पासContinue reading “कछार की पहली तेज बारिश के बाद”
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राधेश्याम पटेल; ऊंटवाला
दूर ऊंट जा रहा था। साथ में था ऊंटवाला। मैने पण्डाजी से पूछा – यह किस लिये जा रहा है ऊंट? इस समय तो कछार में लादने के लिये कुछ है नहीं। सब्जियां तो खत्म हो चली हैं। “वह एक कुनबी का ऊंट है। घास छीलने जा रहा होगा वह। एक दो घण्टा घास इकठ्ठाContinue reading “राधेश्याम पटेल; ऊंटवाला”
हनुमान मंदिर के ओसारे में
शादियों का मौसम है। हनुमान मंदिर के ओसारे में एक बरात रुकी थी। जमीन पर बिस्तर लगे थे। सवेरे सवेरे कड कड करता ढोल बज रहा था। लोग उठ चुके थे। संभवत: बिदाई का समय होने जा रहा था। मैने देखा- बारातियों ने हनुमान मंदिर के नीम को नोच डाला था दतुअन के लिए। निपटानContinue reading “हनुमान मंदिर के ओसारे में”
