कई दिन से घूमने नहीं जा पाया था। आज सयास पत्नीजी के साथ गंगा किनारे गया। आज श्रावण शुक्लपक्ष अष्टमी है। शिवकुटी के कोटेश्वर महादेव मन्दिर पर मेला लगता है। उसकी तैयारी देखने का भी मन था। शिवकुटी घाट की सीढियों पर जवाहिरलाल अपने नियत स्थान पर था। साथ में बांस की एक खपच्ची लियेContinue reading “लंगड़ जवाहिरलाल”
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कल्लू के उद्यम
बहुत दिनों बाद कल्लू दिखा कछार में। गंगा दशहरा के पहले ही उसके खेतों का काम धाम खत्म हो गया था। अब वह सरसों के डण्ठल समेटता नजर आया। उसके साथ दो कुत्ते थे जो कछार में चरती भैसों को भौंक कर भगा रहे थे। लोग स्नान कर आ जा रहे थे। मुझे कल्लू काContinue reading “कल्लू के उद्यम”
अनिल की इस साल की उपज
आज शाम रविवार होने के कारण गंगातट पर चला गया। शाम को लोग ज्यादा होते हैं वहां और रविवार के कारण और भी थे। कोटेश्वर महादेव पर सब्जियां बिक रही थीं। कछार की निकली – नेनुआ, लौकी, कोन्हड़ा, छोटा तरबूज, करेला, ककड़ी … घाट पर एक परिवार देखा जो उसपार से कई बोरे नाव सेContinue reading “अनिल की इस साल की उपज”
