अशोक पाण्डेय, उत्कृष्टता, खेतीबाड़ी और दोषदर्शन


मैं सामान्यत: एक पत्रकार के विषय में नहीं लिखना/टिप्पणी करना चाहूंगा। किसी जमाने में बी.जी. वर्गीश, प्रभाष जोशी और अरुण शौरी का प्रशंसक था। अब पत्रकारिता पर उस स्तर की श्रद्धा नहीं रही। पर आज मैं एक पत्रकार के बारे में लिख रहा हूं। अशोक पाण्डेय (इस लिये नहीं कि यह सज्जन पाण्डेय हैं) केContinue reading “अशोक पाण्डेय, उत्कृष्टता, खेतीबाड़ी और दोषदर्शन”

बेन्चमार्क अलग-अलग हैं हिन्दी और अंग्रेजी की पुस्तकें खरीदने के?


कल प्रोफेसर गोविन्द चंद्र पाण्डे के “ऋग्वेद” की रुपये आठ सौ की कीमत पर कुछ प्रतिक्रियायें थीं कि यह कीमत ज्यादा है, कुछ अन्य इस कीमत को खर्च करने योग्य मान रहे थे। असल में खुराफात हमने पोस्ट में ही की थी कि “आठ सौ रुपये इस पुस्तक के लिये निकालते एक बार खीस निकलेगीContinue reading “बेन्चमार्क अलग-अलग हैं हिन्दी और अंग्रेजी की पुस्तकें खरीदने के?”

प्रोफेसर गोविंद चन्द्र पाण्डे और ऋग्वेद


हे अग्नि; पिता की तरह अपने पुत्र (हमारे) पास आओ और हमें उत्तम पदार्थ और ज्ञान दो! यह ऋग्वैदिक अग्नि की प्रार्थना का अनगढ़ अनुवाद है मेरे द्वारा! वह भी शाब्दिक जोड़-तोड़ के साथ। पर मुझे वर्णिका जी ने कल लोकभारती, इलाहाबाद द्वारा प्रकाशित प्रोफेसर गोविन्द चन्द्र पाण्डे की हिन्दी में ऋग्वेद पर चार भागोंContinue reading “प्रोफेसर गोविंद चन्द्र पाण्डे और ऋग्वेद”

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