उमादास


नीलकंठ थोड़ा कष्ट में थे। सर्दी में सांस की तकलीफ पहले हुआ करती थी, फिर स्थान बदलने से खत्म हो गई। तराई के इलाके में नमी की कमी नहीं होती। शायद नमी का असर था। पर अब पंद्रह साल बाद फिर से लगा कि इनहेलर ले लेना चाहिये। शशि दिल्ली में डाक्टर है। उससे फोनContinue reading “उमादास”

नीलकंठ और रामसूरत की मुलाकात


नीलकंठ कुछ कुछ मेरे जैसा है। रुपया में बारह आना। वह भी नौकरशाह रहा। पांच सात हजार कर्मचारियों का नियंता। अब वह करुणेश जी के ‘रामेश्वर धाम’ पर बतौर प्रबंधक आया है। बंगले से डेढ़ कमरे की कॉटेज में शिफ्ट हुआ है। पांच हजार की साइकिल खरीदी है और गांव की सड़कों पर चलाने काContinue reading “नीलकंठ और रामसूरत की मुलाकात”

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