“आस्था है भईया लोगों में। गाय-भैंस ब्याने पर पहला दूध गंगा माई को चढ़ाने ले जाते हैं। कुछ लोग तो बाबाधाम जा कर बैजनाथ जी को चढ़ाते हैं। इनकी बड़ी मानता है। लोग उन्ही से मनौती मानते हैं। उन्हीं की किरपा मानते हैं।”
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गंगा से कोसी – 1
दो दिन प्रेमसागर ने आतिथ्य लेने में बिताये और मैंने “मैला आंचल” के पन्ने पलटे। उन्होने आगे की लम्बी यात्रा के पहले बमुश्किल मिला विश्राम किया और मैंने किया पूर्णिया के अंचल की जिंदगी जानने का प्रयास।
पूर्णिया के गुड्डू पांड़े
दियारा शब्द के आते ही मन में बाढ़ और डूब में आने वाले इलाके का दृश्य आ जाता है। इस जगह से कोसी ज्यादा दूर नहीं हैं। उस पाट बदलने वाली नदी से दियारा बिसहानपुर तीस-पैंतीस किमी की ही दूरी पर है।
