मोटा दड़वा से घोघावदर


प्रेम सागर ने निकलते ही एक मंदिर के दर्शन किये। वहां मंदिर की खासियत यह है कि चारों धाम की यात्रा कर लौटे लोग उस मंदिर में जरूर जाते हैं, अन्यथा “चारों धाम का पुण्य” फलित नहीं होता।

जसदाण से मोटा दड़वा


मोता दड़वा में प्रेमसागर सुदेश भाई के घर रुके हैं। मोता दड़वा बड़ा गांव है। सुदेश भाई सम्पन्न गांव वाले लगते हैं। उनका ड्राइंग रूम मुझे अपने यहां के तथाकथित सम्पन्न लोगों के यहां से कहीं बेहतर नजर आता है।

वागड़ से राणपुर के आगे


रामगिरि बाबा के पास दो घोड़े हैं। रामदेव बाबा के सभी स्थानों, मंदिरों में घोड़े पाले जाते हैं। उसका कारण है कि रामदेव पीर बाबा घोड़े पर ही सवारी किया करते थे। बाबा रामदेव के सभी चित्र घोड़े के साथ ही हैं।

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