मोता दड़वा में प्रेमसागर सुदेश भाई के घर रुके हैं। मोता दड़वा बड़ा गांव है। सुदेश भाई सम्पन्न गांव वाले लगते हैं। उनका ड्राइंग रूम मुझे अपने यहां के तथाकथित सम्पन्न लोगों के यहां से कहीं बेहतर नजर आता है।
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इंदौर में और फिर चोरल की ओर
आज सवेरे पांच बजे प्रेमसागर चोरल के लिये रवाना हुये। चोरल इंदौर के अतिथि गृह से 36 किलोमीटर दूरी पर है। शुरू के बाईस-चौबीस किलोमीटर मालवा के पठार पर हैं। उसके बाद नर्मदा घाटी प्रारम्भ होती है।
गाडरवारा, गाकड़, डमरू घाटी और कुम्हार
मेरी पत्नीजी यह सुन देख कर कहती हैं – बेचारे प्रेमसागर! तुमने उस शरीफ आदमी को कुम्हार की बस्ती खोजने में लगा दिया! शंकर भगवान तुम पर किचकिचा रहे होंगे। तुम उनका शोषण कर रहे हो डिजिटल एक्स्प्लॉइटेशन! 🙂
देवरी से कुण्डम का रास्ता
प्रेम सागर पहले अपने संकल्प में, ज्योतिर्लिंगों तक येन केन प्रकरेण पंहुचने में अपनी कांवर यात्रा की सार्थकता मान रहे थे। अब वे यात्रा में हर जगह, हर नदी, पहाड़, झरने, पशु पक्षियों और लोगों में शिव के दर्शन करने लगे हैं।
नदी का जल सचमुच साफ हुआ है
इन सभी चित्रों में जो चीज कॉमन है, वह है गंगाजी की स्वच्छ और प्रचुर जल राशि। जल वास्तव में आँखों को प्रिय लग रहा है!