लम्बी चौड़ी योजना बनाने वाला (पढ़ें – मेरे जैसा व्यक्ति) यात्रा पर नहीं निकलता। यात्रा पर प्रेमसागर जैसा व्यक्ति निकलता है जो मन बनने पर निकल पड़ता है। सो, प्रेमसागर मन बनने के साथ ही आगे की लम्बी यात्रा पर निकल पड़ेंगे।
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बडवाह से माहेश्वर
नवम्बर का महीना और नदी घाटी का इलाका; कुछ सर्दी तो हो ही गयी होगी। आसपास को देखते हुये प्रेमसागर ने बताया कि दोनो ओर उन्हें खेती नजर आती है। जंगल नहीं हैं। गांव और घर भी बहुत हैं। लोग भी दिखाई देते हैं। रास्ता वीरान नहीं है।
बड़वाह
प्रेमसागर के पैरों में चक्र है। सो अनवाइण्डिंग के दौरान भी बड़वाह के कई दर्शनीय स्थानों को देख आये। नर्मदा किनारे बसा बड़वाह एक नगरपालिका है, गांव नहीं। उसके आसपास चोरल और एक दो अन्य नदियां नक्शे में दिखती हैं। कई पौराणिक स्थल हैं इस नगरपालिका सीमा में और आसपास। कई चित्र प्रेमसागर ने बड़वाह भ्रमण के मेरे पास भेजे हैं।
