सवेरे जल्दी चल कर प्रेमसागर करीब 33-34 किमी चल कर कर्णप्रयाग पंहुचे थे। रुद्रप्रयाग से बदरीनाथ की पैदल यात्रा वे कर रहे हैं। केदारनाथ की यात्रा की चारधाम यात्रा एक अनुषांगिक (सबसीडियरी/एंसिलियरी) यात्रा है।
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केदारनाथ, 11वाँ ज्योतिर्लिंग दर्शन सम्पन्न, प्रेमसागर
गजब आदमी! कल दिन भर चलता रहा। चालीस किलोमीटर चल कर फाटा से केदारनाथ दर्शन किये। फिर लौट कर चालीस किमी पैदल चल कर वापस फाटा पंहुचेगा! अस्सी किलोमीटर की पहाड़ की पैदल यात्रा तीस घण्टे में। उस बीच केदारनाथ के ‘वंस-इन-लाइफटाइम’ वाले दर्शन।
ऋचा भट्ट बडोला की पाइन इन द टेल
मैंने सोचा था कि ऋचा एक नितांत शहरी जीव होंगी और उनकी गांवदेहात की समझ, हद से हद, सतही ही होगी। पर एक एक कहानी खत्म करने पर यह अहसास पुख्ता होता गया कि ऋचा में जो अंचल की समझ है वह ठोस और गहरी है। उनकी कहानी बुनने की क्षमता, सरल साधारण में भी कथा के सभी अनिवार्य तत्व सूंघ कर सशक्त भाषा में उकेरना प्रशंसनीय है।
मुकेश पाठक का शहद का कॉम्बो पैक
मुकेश जी मधुमक्खी पालन में दो प्रकार से समस्याओं से जूझ रहे हैं। मधुमक्खी पालन अपने आप में चुनौती है। यह एक घुमंतू व्यवसाय है जिसमें स्थान परिवर्तन के कारण रखरखाव, लॉजिस्टिक्स और प्रबंधन की विकट समस्यायें हैं। इसके अलावा ब्राण्डेड शहद में मक्का-चावल शर्करा घोल का मिलाना दूसरी बड़ी समस्या है, जो मधुमक्खी पालन की प्रतिद्वंद्विता में सेंध लगाती है।
पहाड़ के पंत
अमित सिंह के चेम्बर में आशुतोष पंत मिले। आशुतोष मेरे पड़ोसी हैं। मेरे घर – सप्तगिरि के सामने ही है उनका दुमंजिला आवास। पर पहले कभी आशुतोष से मुलाकात नहीं हुई थी। मैं पंत उपनाम को पहाड़ से जोड़ कर देखता था, इसलिये आशुतोष को भी पहाड़ का समझा। वे निकले भी। पर एक नयीContinue reading “पहाड़ के पंत”
शैलेश पाण्डेय, गंगोत्री और साधू
शैलेश पाण्डेय ने पिछले वर्ष उत्तराखण्ड में प्राकृतिक आपदा के बाद गुप्तकाशी के आगे रेलगांव-फाटा के पास मन्दाकिनी नदी पर रोप-वे बनाया था। लगभग सप्ताह भर वहां रहे थे और ग्रामीणों की बहुत सहायता की थी। उस घटना को एक साल हो रहा है। अभी कुछ दिन पहले शैलेश ने बताया था कि उनका इरादाContinue reading “शैलेश पाण्डेय, गंगोत्री और साधू”