मणियवा खूब मार खाया


मणियवा का बाप उसे मन्नो की दुकान पर लगा कर पेशगी 200 रुपया पा गया। सात-आठ साल के मणियवा (सही सही कहें तो मणि) का काम है चाय की दुकान पर चाय देना, बर्तन साफ करना, और जो भी फुटकर काम कहा जाये, करना। उसके बाप का तो मणियवा को बन्धक रखवाने पर होली कीContinue reading “मणियवा खूब मार खाया”

हैरीपॉटरीय ब्लॉग की चाहत


मैने हैरी पॉटर नहीं पढ़ा। मुझे बताया गया कि वह चन्द्रकांता संतति या भूतनाथ जैसी तिलस्मी रचना है। चन्द्रकांता संतति को पढ़ने के लिये उस समय की बनारस की अंग्रेज मेमों ने हिन्दी सीखी थी। नो वण्डर कि हैरी पॉटर पर इतनी हांव-हांव होती है।पर अब अगर हैरी पॉटर नुमा कुछ पढ़ना चाहूंगा तो ब्लॉगContinue reading “हैरीपॉटरीय ब्लॉग की चाहत”

राजभाषा बैठक के दौरान इधर उधर की


कल उत्तर-मध्य रेलवे की राजभाषा कार्यान्वयन समिति की त्रैमासिक बैठक महाप्रबंधक श्री विवेक सहाय जी की अध्यक्षता में हुई। इस तरह की बैठक में सामान्यत: राजभाषा विषयक आंकड़े प्रस्तुत किये जाते हैं। उनपर सन्तोष/असन्तोष व्यक्त किया जाता है। पिछले तीन महीने में राजभाषा अधिकारी की जो विभाग नहीं सुनता, उसपर आंकड़ों और प्रगति में कुछContinue reading “राजभाषा बैठक के दौरान इधर उधर की”

Design a site like this with WordPress.com
Get started