कल्लू का बिजूका


अरविन्द वहीं था, गंगा किनारे अपने कोन्हड़ा-नेनुआ के खेत पर। अब वह मुझे पहचानने लगा है; सो दूर से ही उसने नमस्ते करी। मैं उसकी ओर मुड़ा तो बोला – जरा बच के आइयेगा। नीचे नेनुआ के पौधे हैं। पिछले दिनों की सर्दी से पनपे नहीं। वास्तव में नीचे सम दूरी पर जरा-जरा से पौधेContinue reading “कल्लू का बिजूका”

माघ मेला के बाद गंगा कछार में खेती


माघ मेला के बाद गंगा नदी में पानी की आमद घट गई है। लिहाजा नये टापू उभरने लगे हैं। आज सवेरे देखा कि पिछले हफ्ते में उभर आये टापू पर भी खेती प्रारम्भ हो गयी है। सवेरे सवा छ बजे सूर्योदय नहीं हुआ था, पर एक नाव उन पर जा रही थी। यह फोटो मोबाइलContinue reading “माघ मेला के बाद गंगा कछार में खेती”

पालक


क्यारी में काम करते अर्जुन पटेल दो महीने पहले (नवम्बर २९ की पोस्ट) मिला था अर्जुन प्रसाद पटेल से। वे गंगा के कछार में खेती कर रहे थे। एक महीने बाद (दिसम्बर २५ की पोस्ट) फिर गया उनकी मड़ई पर तो वे नहीं थे। उनकी लड़की वहां थी। और तब मुझे लगा था कि सर्दीContinue reading “पालक”

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