ढूंढ़ी यादव तुरंत हाथ जोड़ने का पोज बना लिये। उन्होने बताया कि सूरज उगते ही प्रचार में निकल देते हैं और यही करते रात हो जाती है। उन्होने किरपा बनाये रखने का एक बार और अनुरोध किया। यह भी बताया कि अपनी जीत के लिये आश्वस्त हैं।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
ढूंढ़ी यादव तुरंत हाथ जोड़ने का पोज बना लिये। उन्होने बताया कि सूरज उगते ही प्रचार में निकल देते हैं और यही करते रात हो जाती है। उन्होने किरपा बनाये रखने का एक बार और अनुरोध किया। यह भी बताया कि अपनी जीत के लिये आश्वस्त हैं।