मोता दड़वा में प्रेमसागर सुदेश भाई के घर रुके हैं। मोता दड़वा बड़ा गांव है। सुदेश भाई सम्पन्न गांव वाले लगते हैं। उनका ड्राइंग रूम मुझे अपने यहां के तथाकथित सम्पन्न लोगों के यहां से कहीं बेहतर नजर आता है।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
मोता दड़वा में प्रेमसागर सुदेश भाई के घर रुके हैं। मोता दड़वा बड़ा गांव है। सुदेश भाई सम्पन्न गांव वाले लगते हैं। उनका ड्राइंग रूम मुझे अपने यहां के तथाकथित सम्पन्न लोगों के यहां से कहीं बेहतर नजर आता है।