सढ़सठ साल के राजन भाई कोरोना-काल में अतिरिक्त सतर्क हैं


उन्हें अहसास है अपनी बढ़ती उम्र, इम्यूनिटी का घटता स्तर, और इम्युनिटी बढ़ाने की जरूरत का। जितना गम्भीर वे हैं, उस स्तर पर सभी 65 पार लोगों को होना चाहिये।

गांव का नाई


दो नाऊ की गुमटियां आबाद दिखीं। उनके पास करीब चार साइकलें खड़ी थीं। कोरोना लॉकडाउन समय में दो नाई काम पर लगे थे और आधा दर्जन लोग वेटिंग लिस्ट में थे।

कोरोना और किराना


कोरोना का काल हमें कोहनिया रहा है कि हम गांव वाले बनें। किराना के सामान के प्रकार और गुणवत्ता को ले कर व्यक्तित्व में जो अफ़सरी तुनक बाकी रह गयी है (रिटायरमेण्ट के चार साल बाद भी) वह खतम होनी चाहिये। चॉकलेट की बजाय गुड़ की भेली और नूडल्स की बजाय देसी सेंवई पर सन्तोष करना चाहिये।

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