ब्लॉग:- प्रेमसागर – बोडेली से डभोई
जब वे बोडेली से डभोई के लिये निकले तो सड़क पर करीब पचास लोग उन्हें विदा करने के लिये जमा थे। कोई उन्हें फूल माला पहना कर विदा कर रहे थे और किसी ने तो उनकी आरती भी की।
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छोटा उदयपुर से आगे, पालिया, बोडेली
आज और कल रास्ते के जो चित्र भेजे हैं, उनसे गुजरात की समृद्धि भी झलकती है। जिस इलाके से प्रेमसागर गुजर रहे हैं, वह शहरी कम है। पर ग्रामीण इलाके का भी रूरर्बियाइजेशन खूब दिखता है। उसे वे पर्याप्त अभिव्यक्त नहीं कर सके पर पालिया में कपास की फैक्टरी; सड़क के बीच पढ़ते बच्चों की मूर्ति; टॉवर आदि बताते हैं कि समृद्धि कैसी है।
प्रेमसागर, गुजरात, छोटा उदयपुर और पालिया
मुझे आशंका थी कि प्रेमसागर की यात्रा अनजान-गुमनाम होगी, पर वैसा नहीं है। लोग उन्हें जानने वाले हो गये हैं। पैदल चलने की तपस्या की जन मानस में गहरे प्रभाव डालती है। चाहे-अनचाहे प्रेमसागर आईकॉन बनते जा रहे हैं।
