उसने बिना चोटिल किए छोटे बड़े कुल सवा सौ बेल तोड़े। उसमें से उसे करीब चालीस मिले मेहनताना के रूप में। इस तरह 4-5 घंटे की मेहनत में राजेंद्र ने 1000 रुपये कमाए। बढ़िया ही कहा जाएगा यह उद्यम!
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून को छोड़ने के बाद गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
उसने बिना चोटिल किए छोटे बड़े कुल सवा सौ बेल तोड़े। उसमें से उसे करीब चालीस मिले मेहनताना के रूप में। इस तरह 4-5 घंटे की मेहनत में राजेंद्र ने 1000 रुपये कमाए। बढ़िया ही कहा जाएगा यह उद्यम!