इस युग का यही रोचक पक्ष है कि कोने अंतरे में बैठा आदमी भी पूरी दुनियाँ की खोज खबर के लिये दुबरा रहा है। जैसा चीनी कहावत में है कि अभिशाप है रोचक समय में रहना। हम सब विश्व से जुड़े रहने की तलब की रोचकता में अभिशप्त जीव हैं।
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून को छोड़ने के बाद गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
इस युग का यही रोचक पक्ष है कि कोने अंतरे में बैठा आदमी भी पूरी दुनियाँ की खोज खबर के लिये दुबरा रहा है। जैसा चीनी कहावत में है कि अभिशाप है रोचक समय में रहना। हम सब विश्व से जुड़े रहने की तलब की रोचकता में अभिशप्त जीव हैं।