<<< मचान के देखुआर अनूप सुकुल >>> कल अनूप शुक्ल जी, सपत्नीक मिलने आये। हम लोग हिंदी ब्लॉगिंग के स्वर्णकाल (?) से मित्र हैं। मेरी उनसे मुलाकात सतरह साल पहले कानपुर रेलवे स्टेशन के एक रेस्ट हाउस में हुई थी। मैं उनके लेखन का मुरीद हूं। पता नहीं वे यह भाव रेसीप्रोकेट करते हैं याContinue reading “मचान के देखुआर अनूप सुकुल”
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अमलेश सोनकर का मचान
*** अमलेश सोनकर का मचान *** मेरे घर से आधा किमी की दूरी पर है अमलेश का खेत। दूर से मैने देखा तो सफेद चांदी सा कुछ जमा था खेत में। थोड़ा पास गया तो एक बच्चे ने बताया – “रेक्सहवा कोंहड़ा है। इसकी मिठाई बनती है।” ज्यादा पास जाने पर अमलेश मिले। वे खेतContinue reading “अमलेश सोनकर का मचान”
और मचान बन गया
*** और मचान बन गया *** मैने खेत में एक मचान बनवाने की सोची थी, पर फिर इरादा बदल कर घर की चारदीवारी से सटा मचान बनवाने का निर्णय लिया। उस मचान से खेत, उसके आगे रेलवे स्टेशन का लेवल क्रॉसिंग का इलाका और गांव नजर आते। इस बारे में कल एक पोस्ट एक्स औरContinue reading “और मचान बन गया”
