डेयरी से परिवर्तन, अजय दुबे, मटकीपुर


आज के चरित्र थे अजय दुबे। वे पांच सात अलग अलग पशुओं का दूध अलग अलग डिब्बों में ले कर आये थे। सब की पर्चियां एक साथ निकलीं। एक मीटर लम्बा था प्रिण्ट आउट। सब पर अंकित मूल्य को मैंने जोड़ा तो नौ सौ- हजार के आसपास निकला।

मडैयाँ डेयरी और जंगला के संतोष यादव


संतोष सवेरे चार बजे उठते हैं। अपने घर के गाय गोरू की देखभाल करते और दुधारू पशुओं को दुहने के बाद अपने गांव के करीब 35-40 भैंसों-गायों को दुहते हैं।
[…] दुहने में लगी मेहनत से उनकी उंगलियों की बनावट ही बदल गयी है।

Design a site like this with WordPress.com
Get started