पता नहीं भोलेनाथ किसपर प्रसन्न होते हैं; पर मुझे भोलेनाथ की ओर से कांवर यात्रा का अंतिम परीक्षा प्रश्नपत्र बनाने का चांस मिलता तो मैं एक ही प्रश्न उसमें रखता – क्या तुमने यात्रा के दौरान मुझे बाहरी दुनियां में देखा? देखा तो कितना देखा? किसका अनुशासन ज्यादा है और किसकी उन्मुक्तता ज्यादा है –Continue reading “कंकर में शंकर और नरसिंहपुर से आगे”
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गोटेगांव से नरसिंहपुर और मुन्ना खान की चाय
“मैं कांवर दूंगा उठाने को अगर तुम मुझे चाचा जी या अंकल जी कहोगी। बाबा या महराज नहीं हूं मैं।” – प्रेमसागर ने कहा। उन्हें विदा करने के लिये बहुत से लोग सड़क पर आये। करीब तीन किमी साथ चले।
जबलपुर से गोटेगांव
6 अक्तूबर, शाम – मुझे लगता है कि आगे की ज्योतिर्लिंग कांवर यात्रा करने वालों के लिये प्रेमसागर एक मानक तैयार कर रहे हैं। क्या पहनें, क्या खायें, कैसे चलें आदि के मानक। वैसे यह भी है कि इस प्रकार की दुरुह और कष्टसाध्य यात्रा करने वाले भविष्य में नहीं ही होंगे। मेरे जैसा व्यक्तिContinue reading “जबलपुर से गोटेगांव”
जबलपुर, धुंआधार, नर्मदा, गाक्कड़ भर्ता
प्रेम सागर जो महीने भर पहले मात्र यात्रा की दूरी गिन रहे थे, अब लोगों से मिलने में और उनके साथ चित्र खिंचवाने में भी रस ले रहे हैं। … उत्तरोत्तर निखार आ रहा है प्रेमसागर के व्यक्तित्व में। कांवर यात्रा जैसे जैसे आगे बढ़ेगी, प्रेमसागर का व्यक्तित्व उत्तरोत्तर संतृप्त होता जायेगा। संतृप्त और परिपक्व। यात्रा व्यक्ति में बहुत कुछ धनात्मक परिवर्तन लाती है।
जबलपुर, ग्वारीघाट, गुप्तेश्वर महादेव और अर्जी वाले हनुमानजी
प्रेमसागर अपने जीवन की सार्थकता तलाश रहे हैं। उसी की तलाश में चलते चले जा रहे हैं। पर यह सार्थकता तलाशते तलाशते किसी मुकाम पर सफलता और शोहरत न तलाशने लग जायें – इसका मुझे भय है।
कुण्डम से जबलपुर – वृहन्नलाओं का आशीष पाये प्रेमसागर
वृहन्नलाओं में सबसे उम्रदराज प्रेमसागर के सिर पर हाथ रख आशीष दे रहा था। भारत में कोई बड़ा काम हो, बच्चा जन्मे या किसी का विवाह हो और हिंजड़े गुणगान कर आशीष दें; वह शुभ माना जाता है।