डाक्टर नें पंद्रह दिन की दवायें भी उन्हें फ्री में दीं। उन्हें पैदल चलने का एक अनुशासन बताया। उत्तरोत्तर बढ़ाते हुये। प्रेम सागर ने वही किया। और अब चलने की धुन इतनी हो गयी है कि 12 ज्योतिर्लिंग पदयात्रा कर रहे हैंं!
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
डाक्टर नें पंद्रह दिन की दवायें भी उन्हें फ्री में दीं। उन्हें पैदल चलने का एक अनुशासन बताया। उत्तरोत्तर बढ़ाते हुये। प्रेम सागर ने वही किया। और अब चलने की धुन इतनी हो गयी है कि 12 ज्योतिर्लिंग पदयात्रा कर रहे हैंं!