भला हो दिलीप थानकी जी का जो पोरबंदर से प्रेमसागर की अगवानी करने के लिये आये और उनको स्थान दिखाये, भोजन आदि कराया; वर्ना सोमनाथ वालों ने तो घोर उपेक्षा ही की।… बाबा महादेव; मैं तो सोमनाथ जाने के पहले खूब सोचूंगा…
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून को छोड़ने के बाद गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
भला हो दिलीप थानकी जी का जो पोरबंदर से प्रेमसागर की अगवानी करने के लिये आये और उनको स्थान दिखाये, भोजन आदि कराया; वर्ना सोमनाथ वालों ने तो घोर उपेक्षा ही की।… बाबा महादेव; मैं तो सोमनाथ जाने के पहले खूब सोचूंगा…