सन 2005 में जंगलराज खत्म होने के बाद थोड़ा माहौल बदला। तब जा कर इस पक्षी की मौजूदगी की भनक लगी ! 2006 में मन्दार नेचर क्लब ने इस पर रिपोर्ट भेजी। लोगो को जागरूक और भावुक करने के लिए इसे गरुड़ महाराज का नाम दिया।
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गंगा से कोसी – 2
“आस्था है भईया लोगों में। गाय-भैंस ब्याने पर पहला दूध गंगा माई को चढ़ाने ले जाते हैं। कुछ लोग तो बाबाधाम जा कर बैजनाथ जी को चढ़ाते हैं। इनकी बड़ी मानता है। लोग उन्ही से मनौती मानते हैं। उन्हीं की किरपा मानते हैं।”
गंगा से कोसी – 1
दो दिन प्रेमसागर ने आतिथ्य लेने में बिताये और मैंने “मैला आंचल” के पन्ने पलटे। उन्होने आगे की लम्बी यात्रा के पहले बमुश्किल मिला विश्राम किया और मैंने किया पूर्णिया के अंचल की जिंदगी जानने का प्रयास।
