पोरबंदर – सौराष्ट्र का आतिथ्य


वैसे भी तीन दिन उनके पोरबंदर प्रवास के हैं। कांवर यात्रा उसके बाद ही होगी। अभी तो प्रेमसागर लोगों के भाव और श्रद्धा के सागर में तैरती कठपुतली हैं। खूब आनंद से तैरती कठपुतली। सौराष्ट्र के भाव समुद्र में जब भगवान भी अपना स्वर्ग भूल जाते हैं तो प्रेमसागर को उसका आनंद लेने दिया जाये।

माधवपुर


स्थान जो प्रकृति के समीप होता या दिखता है, लुभाता है। शायद एक मोबाइल घर होना चाहिये जिसपर जहां मन हो पार्क कर महीना दो महीना रहा जाये, फिर वहां से निकल कर कहीं और! जॉन स्टाइनबैक के “ट्रेवल्स विथ चार्ली” की तरह।

नीलकंठ वर्णी और माधवपुर


इस पूरे समुद्र तटीय क्षेत्र में लोग सरल हैं, धर्म में श्रद्धा रखते हैं और उनमें धोखा देने की वृत्ति नहीं है। लोग शाकाहारी हैं और शराब का सेवन नहीं करते। बकौल दिलीप जी, लोगों में धूर्तता नहीं, भोलापन है और परनिंदा में समय व्यतीत नहीं करते।

Design a site like this with WordPress.com
Get started