सरवा में रामदेव पीर बाबा के आज के मुकाम पर पंहुचने के पहले बुरा हुआ उनके साथ। रास्ता खराब था। सड़क पर गिट्टी उधड़ी हुई थी और बबूल के कांटे भी थे। एक जगह बबूल के कांटे चुभ गये पैर में।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
सरवा में रामदेव पीर बाबा के आज के मुकाम पर पंहुचने के पहले बुरा हुआ उनके साथ। रास्ता खराब था। सड़क पर गिट्टी उधड़ी हुई थी और बबूल के कांटे भी थे। एक जगह बबूल के कांटे चुभ गये पैर में।