सागौन के पेड़ के ऊपर एक गिलहरी दम्पति मोजे को ऊपर की ओर खींच रहे थे। वे हटाने पर आसपास चींचीं करते रहे, मानो उनकी सम्पत्ति हो और हम उसे जबरी हथियाने जा रहे हों। :lol:
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
सागौन के पेड़ के ऊपर एक गिलहरी दम्पति मोजे को ऊपर की ओर खींच रहे थे। वे हटाने पर आसपास चींचीं करते रहे, मानो उनकी सम्पत्ति हो और हम उसे जबरी हथियाने जा रहे हों। :lol: