सुरती, दारू की तरह बहुत सामाजिक टाइप की चीज है। अजनबी व्यक्ति भी सुरती फटकने वाले के पास खिंचा चला आता है। वह निसंकोच सुरती मांग लेता है और देने वाला सहर्ष देता भी है।
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून को छोड़ने के बाद गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
सुरती, दारू की तरह बहुत सामाजिक टाइप की चीज है। अजनबी व्यक्ति भी सुरती फटकने वाले के पास खिंचा चला आता है। वह निसंकोच सुरती मांग लेता है और देने वाला सहर्ष देता भी है।