पचास के आसपास भेड़ें हैं रामदेव के पास। उन्ही को देखना, गिनना, पालना और ध्यान रखना उसका कर्म है। वही ध्यान है, वही योग है।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
पचास के आसपास भेड़ें हैं रामदेव के पास। उन्ही को देखना, गिनना, पालना और ध्यान रखना उसका कर्म है। वही ध्यान है, वही योग है।