रामदेव गड़रिया


पचास के आसपास भेड़ें हैं रामदेव के पास। उन्ही को देखना, गिनना, पालना और ध्यान रखना उसका कर्म है। वही ध्यान है, वही योग है।

दोपहर में द्वरिकापुर में गंगा किनारे


सवेरे निकलता हूं घूमने। गंगा तट पर जाना होता है तो उसी समय। अब सर्दी बढ़ गयी थी। सवेरे की बजाय सोचा दिन निकलने पर निकला जाये। बटोही (साइकिल) ने भी हामी भरी। राजन भाई भी साथ निकले पर वे अगियाबीर के टीले पर निकल गये; वहां प्राचीन सभ्यता के गहने-सेमीप्रेशस स्टोन्स के अनगढ़ टुकड़ोंContinue reading “दोपहर में द्वरिकापुर में गंगा किनारे”