शांती की पोस्ट पर मेरे माता-पिताजी का लगाव


कल मैने शांती पर एक पोस्ट पब्लिश की थी. कुछ पाठकों ने ब्लॉगरी का सही उपयोग बताया अपनी टिप्पणियों में. मैं आपको यह बता दूं कि सामान्यत: मेरे माता-पिताजी को मेरी ब्लॉगरी से खास लेना-देना नहीं होता. पर शांती की पोस्ट पर तो उनका लगाव और उत्तेजना देखने काबिल थी. शांती उनके सुख-दुख की एक दशक से अधिक की साझीदार है. अत: उनका जुड़ाव समझमें आता है.
कल मेरे घर में बिजली 14 घण्टे बन्द रही. अत: कुछ की-बोर्ड पर नहीं लिख पाया. मैने कागज पर अपने माता-पिता का इंवाल्वमेण्ट दर्ज किया है, वह आपके समक्ष रख रहा हूं.

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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

13 thoughts on “शांती की पोस्ट पर मेरे माता-पिताजी का लगाव

  1. पाण्‍डेय जी पता नहीं क्‍यों हम इन दोनों पोस्‍टों से जुडाव महसूस कर रहें हैं । यह पोस्‍ट हम सुबह पढ चुके थे पर हमारे पास उचित शव्‍द नहीं थे अत: भेडिया धसानी टिप्‍पणी नहीं देंगें सोंचे थे पर अब और पढे फिर ये लिख दिया । पता नही ये टिप्‍पणी है या क्‍या है, पर स्‍वीकारें । “आरंभ” संजीव तिवारी का चिट्ठा

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  2. अम्मा शान्ती को समझाती हैं-‘तू इण्टरनेट पर आई जाबू। दुनियां भर के लोग तोके देखिहीं.’शान्ती ज्यादा नहीं समझती. सरलता से पूछती है-‘कौनो पइसा मिले का?’–कितना सहज और सरल प्रश्न है! दिल को छू गया. आप कह रहे हैं कि शान्ती ज्यादा नहीं समझती: भाई साहब, यहाँ तो जो ज्यादा समझते हैं वो भी इसी इन्तजार में लगे हैं कि -‘कौनो पइसा मिले का?’ :)आपकी हस्त लेखन भी आपके भावुक हृदय होने को प्रमाणित करता है. आपकी पोस्ट से माता जी, पिता जी के दिल में मची सनसनी को भली प्रकार समझा जा सकता है, जबकि उस पोस्ट नें हम सब के दिलों में सनसनी मचा दी. माता जी और पिताजी को मेरा सादर नमन.अब इंक ब्लॉगिंग में भी आपकी पताका लहर रही है, देख कर सुखद अनुभूति हो रही है. ऐसे ही आपका हर क्षेत्र में परचम लहराता रहे, इस हेतु शुभकामनायें.

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