शिक्षा में अंग्रेजियत के डिस्टॉर्शन


Library

अपनी मातृभाषा के साथ अंग्रेजी की शिक्षा में गड़बड़ नहीं है। गड़बड़ अंग्रेजियत की शिक्षा में है। जब हमारा वैल्यू सिस्टम बदलता है तो बहुत कुछ बदलता है। अंग्रेजियत ओढ़ने की प्रक्रिया में जो बदलाव आता है वह डिस्टॉर्शन (distortion – विरूपण, कुरूपता, विकृति) है – सही मायने में व्यक्तित्व में बदलाव या नया आयाम नहीं। अगर हम इस डिस्टॉर्शन से बच कर अंग्रेजी भाषा सीख कर उससे लाभ उठाते हैं, तो श्रेयस्कर हो सकता है?

अंग्रेजियत के डिस्टॉर्शन क्या हैं? मैं उनको सूची बद्ध करने का यत्न करता हूं। यह सूची पूर्ण कदापि नहीं कही जा सकती और इसमें और भी मुद्दे जोड़े जा सकते हैं। कुछ लोग एक आध मुद्दे को सम्भव है डिस्टॉर्शन न मानें। पर कुल मिला कर अंग्रेजी और अंग्रेजियत की बहस चल सकती है।

अंग्रेजियत के कुछ तत्व यह हैं:

  1. मातृभाषा के प्रति हिकारत। अंग्रेजियत के चलते भारत वह देश बन जायेगा जहां अशिक्षा अधिकतम है और जहां मातृभाषा की अशिक्षा भी अधिकतम है। यह एक प्रकार से नव उपनिवेशवादी षडयंत्र है। उपनिवेश काल में लोगों ने अंग्रेजी सीखी थी पर मातृभाषा से जुड़ाव भी बरकरार रहा था। अब यह जुड़ाव गायब हो रहा है। अब लोग अपने बच्चे से ही नहीं अपने कुत्ते से भी अंग्रेजी बोल रहे हैं।
  2. अंग्रेजियत का अर्थ यह नहीं कि अंग्रेजी भाषा में प्रवीणता की दशा है। जो स्तर अंग्रेजी का है वह कुछ स्लैंग्स, भद्दे शब्दों, पोर्नोग्राफिकल लेक्सिकल आइटम और अर्धशिक्षित अंग्रेज की अंग्रेजी के समतुल्य है। असल में आपको अगर अपनी भाषा पर कमाण्ड नहीं है तो आपकी किसी अन्य भाषा पर पकड़ तो स्तरीय हो ही नहीं सकती। कुछ और केवल कुछ ही हैं जिनकी मतृभाषा अंग्रेजी है और सोच भी अंग्रेजी। वे बड़े शहरों में हैं और आम जनता से कटे हैं। पर वे बहुत कम हैं।
  3. अधकचरी अंग्रेजी जानने वाले अंग्रेजियत के अभिजात्य से युक्त अवश्य हैं पर अपने परिवेश और समाज को बौद्धिक और नैतिक नेतृत्व प्रदान करने में पूरी तरह अक्षम हैं। मैं इसमें तथाकथित बड़े राजनेताओं की आगे की पीढ़ी के राजकुमारों और राजकुमारियों को भी रखता हूं। भारत में राजनीति पारिवारिक/पैत्रिक वर्चस्व का मामला है पर उत्तरोत्तर अंग्रेजियत के चलते बौद्धिकता/नैतिकता के गुण गायब हो गये हैं।
  4. words_wisdom संस्कारों का उत्तरोत्तर अभाव और अज्ञता। वीभत्स कॉमिक्स ने जातक कथाओं, लोक कथाओं और दादी-बाबा की शिक्षाप्रद बातों का स्थान ले लिया है। रही सही कसर टेलीवीजन के तथाकथित लोकरंजन युक्त कार्यक्रमों नें पूरी कर दी है।
  5. स्थानीय कला, संगीत, साहित्य और गुणों का ह्रास। उसका स्थान अश्लीलता और भोण्डेपन द्वारा उत्तरोत्तर ग्रहण करते जाना।
  6. पर्यावरण से प्रेम का अभाव। विरासत पर गर्व न होने और धुर स्वार्थवादिता की आसुरिक इच्छा के चलते अपने आसपास, नदी, पहाड़, झरनों और फ्लोरा-फाउना का वर्चुअल रेप।

मैं कोई समाजशास्त्री या भाषा विज्ञानी नहीं हूं। और मैं अपनी मातृभाषा पर जबरदस्त पकड़ रखता हूं – ऐसा भी नहीं है। कुछ ही महीने पहले हिन्दी लेखन में सफाई न होने के कारण मुझे हिन्दी ब्लॉग जगत में बाहरी तत्व माना जाता था। पर अपनी सोच में कई भारतीयों से अधिक भारतीय होने को मैं अण्डरलाइन करना चाहता हूं। उसके चलते मैं यह अवश्य कहूंगा कि शिक्षा में अंग्रेजी हो; जरूर हो। पर वह अंग्रेजियत की बुनियाद पर और स्थानीय संस्कृति तथा भाषा के प्रति हिकारत के साथ न हो।

शिक्षा में अंग्रेजी शामिल हो; अंग्रेजियत नहीं।Not talking


school मैं अपने पास की गुण्डी की मां को देखता हूं। वह खुद ठीक से हिंदी भी नहीं बोल पातीं, अवधी मिला कर गूंथती हैं हिंदी के आटे को। निम्न मध्यम वर्गीय जीवन जी रहा है उनका परिवार। अगले सेशन से उन्हें अपनी लड़की – पलक नाम है उसका – को स्कूल भेजना है। पास में कोई अंग्रेजी स्कूल स्तर का नहीं है। उसे नौ किलोमीटर दूर सिविल लाइन्स में कॉन्वेण्ट स्कूल में भेजने का मन्सूबा बांध रही हैं वह। दो किलोमीटर दूर महर्षि पातंजलि स्कूल है। वहां शुरू से अंग्रेजी भी पढ़ाई जाती है।

पर वहां? वह तो देसी है! Raised Eyebrow


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

15 thoughts on “शिक्षा में अंग्रेजियत के डिस्टॉर्शन

  1. ज्ञान जी, इस लेख का एक एक वाक्य मेरे मन से भी निकला है. मैं आपका अनुमोदन करता हूं.”संस्कारों का उत्तरोत्तर अभाव और अज्ञता। वीभत्स कॉमिक्स ने जातक कथाओं, लोक कथाओं और दादी-बाबा की शिक्षाप्रद बातों का स्थान ले लिया है। रही सही कसर टेलीवीजन के तथाकथित लोकरंजन युक्त कार्यक्रमों नें पूरी कर दी है।”अफसोस यह है कि अधिक्तर लोग इस बात को पहचान नहीं पा रहे हैं.अंगेजी हमारे लिये लाभदायक है, लेकिन अंग्रेजियत हिन्दुस्तान को मटियामेट कर देगी. न अंजंता एल्लोरा बचेंगे, न ही हाम्पी जैसे नगर कभी बन सकेंगे, न उनका कोई आधुनिक संस्करण बन सकेगा.

    Like

  2. “असल में आपको अगर अपनी भाषा पर कमाण्ड नहीं है तो आपकी किसी अन्य भाषा पर पकड़ तो स्तरीय हो ही नहीं सकती” वाह….आपने शत प्रतिशत सही बात की है. भाषा कोई हो उसका सम्मान होना चाहिए लेकिन भाषा के दास बन जायें ये ग़लत है.बहुत सारगर्भित लेख लिखा है आपने…हमेशा की तरह.नीरज

    Like

  3. अंग्रेजी को एक भाषा के रूप में सिखना कतई बुरा नहीं. मगर लाट-साब बनने के लिए अंग्रेजी सिखना और खुद को हीन समझना गलत है. भाषा तो जितनी आये उतना अच्छा.

    Like

  4. आप भारतीय हैं, सौ प्रतिशत। कम या ज्यादा नहीं। आप को अंग्रेजी भी आती है और हि्न्दी भी। भाषा बिगाड़ुओं का नोटिस लेने की कोई जरूरत नहीं। भाषा अपने विकास के लिए किसी की मोहताज नहीं होती। हिन्दी का विकास हो रहा है, उसे चाह कर भी कोई नहीं रोक पाएगा।

    Like

  5. सही कह रहे हैं आप। अंग्रेजी ने ही, अंग्रेजियत ने सारा बंटाधार किया है। हिदुस्तानियों को ही अपनी ज़मीन से काट दिया है। मुश्किल ये है कि इनको इतना संज्ञाशून्य भी कर दिया है कि कटे अंग का अहसास भी नहीं होता है। उनकी पीड़ा भी हमें समझनी चाहिए।

    Like

  6. अरे नही जी आप को गलत फ़ैमिली है अपने बारे मे आप बहुत अच्छी हिंदी लिखते है,और अग्रेजी तो आपकी अच्छी है ही नरभसाये नही लिखते रहे हमे देखिये ना अग्रेजी आती है ना हिंदी फ़िर भी पंगे लेने मे लगे रह्ते है हर कही हर किसी से हर मामले मे..माना की हम मास्टर नही है पर जुगाडू तो है ना और हम वही उसी मे खुश है जी ” “जमी पे चलने का शऊर भले ना हो हमे पर हसरते तो आसमा की रखते है ना”

    Like

  7. कभी बहुमत अंग्रेज़ी बोलने लगा तो पुराणिक जी की बात सही होगी ।

    Like

  8. देखिये, भाषा का सवाल डेमोक्रेसी से तय होगा। जो इंगरेजी हम बोलते हैं,वो ही सही मानी जायेगी। इंगरेजी ग्रामर की ऐसी-तैसी, ये अंगरेजियत की निशानी है। हमें बिना ग्रामर का ख्याल किये अंगरेजी बोलनी चाहिए। अंगरेजी वो ही सही मानी जायेगी, जो बहुमत बोलेगा। बहुमत ग्रामर के हिसाब ना बोलेगा। बलिया,आगरा,अछनेरा की अंग्रेजी सही हैलंदन,कैंब्रिज की अंगरेजी गलत है। आप नर्वसाइयेगा नहीं, फ्यूचर एकैदम दन्नाट टाइप है।

    Like

Leave a reply to अरुण Cancel reply

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started