भाई गुड़ रहा, छोटा भाई शक्कर हो गया। वह भी जमाना था कि शिवकुमार मिश्र को ब्लॉगरी की दुनियां में ठेलियाने के लिये मैने बहुत जतन किया। पहले पहल वे मेरे ब्लॉग पर रोमनागरी में टिप्पणी किया करते थे। फिर मैने उन्हे लिखने को प्रेरित करने के लिये एक ज्वाइण्ट ब्लॉग बनाया – शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग। शिव बहुत बढ़िया लिखते हैं। पर शुरुआती दौर में उनसे लिखवाना कठिन काम था। गूगल के ट्रान्सलिटरेशन टूल के माध्यम से उन्होंने प्रारम्भिक पोस्टें लिखीं। मैने उनपर इधर उधर के चित्र लगाये। साथ ही लगभग उन्ही विषयों से मिलती जुलती पोस्टें मैने भी उस ब्लॉग पर लिखीं। मेरा विचार था कि हम The Becker-Posner Blog जैसा प्रयोग हिन्दी भाषा में करें। पर मुझे अन्दाज नहीं था कि शिव कुमार इतनी विविधता से लिखेंगे कि उनके साथ कदम मिलाना बहुत मुश्किल हो जायेगा। मेरे इस “बेकर-पोस्नर” प्रयोग की योजना कभी टेक-ऑफ ही न कर पायी और विविध विषयों पर पोस्टों का शिव ने सैंकड़ा भी पार कर लिया।
उनके कम्प्यूटर पर ऑफलाइन हिन्दी टाइपिंग टूल इन्स्टाल होने की देर थी कि उनका लेखन नये आयाम पकड़ गया। कई बार मैने देखा है कि किसी विषय पर हम हल्के से बात भर करते हैं और घण्टे भर में अत्यन्त स्तरीय पोस्ट उस विषय पर वे ब्लॉग पर उतार भी देते हैं। शिव की याददाश्त भी गजब की है। दशकों पहले पढ़े पैराग्राफ दर पैराग्राफ ज्यों का त्यों उतार देना उनकी खासियत है।
आज मैं चिठ्ठाजगत पर उनकी रैंकिंग देख रहा था। उनका ब्लॉग मेरे अनाधिकृत ब्लॉग के रूप में भी लिस्ट किया हुआ है। उनके ब्लॉग की रैंकिंग ४५-५० के मध्य चल रही है। मेरी सक्रियता में कमी के कारण मुझे लगता है कि वे मुझसे जल्दी ही आगे बढ़ जायेंगे।
शिवकुमार मिश्र से हमारी चर्चा का एक विषय यह बहुधा होता है, कि पेशे से हम दोनो लेखक नहीं हैं। लिखना हमारा बहुत बड़ा पैशन भी नहीं रहा है। फिर भी ब्लॉगिंग का माध्यम हाथ लगने पर हमने पूरा रस लेते हुये बहुआयामी तरीके से अपने को अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है। यही हमारी ब्लॉगिंग की सार्थकता है। और शिव ने क्या क्या नहीं लिखा – बंगाल, निन्दक महासभा, नौटन्की, रामलीला, उदयप्रतापजी, नन्दीग्राम, ब्लॉगिंग का इतिहास, दुर्योधन की डायरी….। कोई भी समर्पित लेखक इस विविधता से ईर्ष्या कर सकता है।
मैने शिव के ब्लॉग से अपना नाम गायब करने का एक बार प्रयास किया पर शिव ने उसे विफल कर दिया। दो तीन दिन पहले मैने फिर अपनी उपस्थिति कम करने की थोड़ी हेराफेरी ब्लॉग हेडर के डिस्क्रिप्शन में कर चुका हूं। पर वह हेराफेरी बहुत हल्की है। मैने अपना नाम मात्र ब्रेकेट में कर दिया है।
आखिर बड़ा भाई गुड़ और छोटा शक्कर हो गया है। और उसमें बड़ा भाई अपने को अतिशय गर्व का पात्र मानता है।
और अभी अभी शिव ने एसएमएस किया है – उनके लेख दैनिक जागरण में छपे है। बधाई।
शिव जी को ढेरों शुभकामनायें। पर ज्ञान जी बधाई के पात्र आप भी हैं -जिन्होने शिव जी को प्रेरित किया।
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ज्ञान जी! हमें तो दोनों ही पसंद हैं. नंबरों के चक्कर में हम नहीं पड़ते.- अजय यादवhttp://merekavimitra.blogspot.com/http://ajayyadavace.blogspot.com/http://intermittent-thoughts.blogspot.com/
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