पोरस का राजोचित आत्मविश्वास


बहुत बार पढ़ा है कि हारने के बाद पोरस को सिकन्दर के सामने जंजीरों में जकड़ कर प्रस्तुत किया गया। उस समय सिकन्दर ने प्रश्न किया कि तुम्हारे साथ कैसा व्यवहार किया जाये? और पोरस ने निर्भीकता से उत्तर दिया – “वैसा ही, जैसा एक राजा दूसरे राजा के साथ करता है।” यह नेतृत्व कीContinue reading “पोरस का राजोचित आत्मविश्वास”

आपकी इनडिस्पेंसिबिलिटी क्या है मित्र?!


कोई मुश्किल नही है इसका जवाब देना। आज लिखना बन्द कर दूं, या इर्रेगुलर हो जाऊं लिखने में तो लोगों को भूलने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। कई लोगों के ब्लॉग के बारे में यह देखा है।वैसे भी दिख रहा है कि हिन्दी में दूसरे को लिंक करने की प्रथा नहीं है। सब अपना ओरीजनलContinue reading “आपकी इनडिस्पेंसिबिलिटी क्या है मित्र?!”

एसईजेड कहां से आया बन्धुओं?


बहुत ठेलाई चल रही है तहलका छाप पत्र-पत्रिकाओं की। एक ठो नन्दी भी बड़े हैण्डी बन गये हैं। ऐसा लग रहा है कि “दास-कैपीटल” के बाद सबसे अथॉरिटेटिव कुछ है तो तहलका है!हमें लग रहा है कि हम भी कहीं से कुछ पढ़ कर ठेल दें, ताकि सनद रहे कि दखिनहे ही सही, पढ़वैया तोContinue reading “एसईजेड कहां से आया बन्धुओं?”

Design a site like this with WordPress.com
Get started