सच बोलो; मीठा बोलो।
बहुत सच बोला जाना लगा है। उदात्त सोच के लोग हैं। सच ठेले दे रहे हैं। वही सच दे रहे हैं जो उन्हें प्रिय हो। खूब मीठे की सरिता बह रही है। करुणा भी है तो मधु युक्त। डायबिटीज बढ़ती जा रही है देश में।
ज्यादा बुद्धिवादी सच ठिला तो सारा देश डायबिटिक हो जायेगा। कड़वा बोला नहीं जा सकता। कड़वा माने आरएसएस ब्राण्ड मिर्च। लिहाजा शुगर फ्री सच की दरकार है।
हेहेहेहे करो। प्रशस्तिगायन करो बुद्धिमानी का। फट रहे हों सीरियल बम, पर सिमी का रोल क्वेश्चन न करो। कडुआहट न घोलो गंगी-जमुनी संस्कृति में। मत पूछो यह संस्कृति क्या है?!
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कौन है ये माणस जो आजमगढ़ से “निर्दोष” लोगों को पकड़ कर ले जा रहा है गुजरात, हवाई जहाज में? रोको भाई। ऐसे काम तो देश की हार्मोनी बिगाड़ देंगे। जल्दी लाओ शुगर फ्री का कंसाइनमेण्ट।
कोई पैसा नहीं आ रहा तेल का इन पुनीत कर्मों में। कोई फर्जी नोटों की पम्पिंग नहीं हो रही। हो भी रही है तो नगण्य। और कौन कर रहा है – क्या प्रमाण है? बस, आतंक का भूत बना कर प्रजातंत्र की मिठास कम करने का प्रयास हो रहा है
यह कौन अधम है जो अप्रिय बात कह अनवैरीफाइड पोटेन्सी की मिर्च झोंक रहा है भद्रजनों की आंखों में। जानता नहीं कि वे डायबिटीज के साथ साथ मायोपिया से भी पीड़ित हैं। चेहरे देखने से लगता है कि कोष्ठबद्धता भी है। इन साभ्रान्तों को शुगर फ्री की मिठास चाहिये। ईसबगोल की टेलीफोन ब्राण्ड पुड़िया या नेचर क्योर भी हैण्डी होनी चाहिये।
और यह कौन है जो लॉजिक, क्रूर रुक्षता और कड़वाहट ठेलने में रम रहा है। क्या ठेलने का यत्न कर रहा है यह, कैसी है इसकी प्रतिबद्धता! शुगरफ्री आधुनिक मकरध्वज (आयुर्वेदिक अमृत) है। शुगर फ्री वाला सच बांटो भाई। देसी लोगों में बांटना हो तो शुगर फ्री युक्त पंजीरी बांटो। राब-चोटा-गुड़-शक्कर के (अ)स्वास्थ्यकर और आमतौर पर जीभ पर चढ़े स्वाद से जनता को मुक्ति दिलाओ भाई!
माना कि मधु है तो मधुमेह है। पर शुगर फ्री से रिप्लेस कर लो न!

तरह तरह की मिठाई लेने(गोधरा, बाबरी) के पहले सोचना चाहिये था कि हम पर्याप्त इंसुलिन से लैस हैं या नहीं। उपचार से बेहतर बचाव।
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“माना कि मधु है तो मधुमेह है। पर शुगर फ्री से रिप्लेस कर लो न!”मैं तो आपकी बात से अपने आपको सहमत पारहा हूँ ! पर समीर जी कह रहे हैं की “शुगर फ्री आउट ऑफ डेट हो रही है.” ! तो समीरजी आप एक बात बताइये की कितने लोग इस बात को मान रहे हैं ? भई जिनको मीठा बोलना ..सारी .. खाना ही है वो तो सुगर फ्री के रूप में खाएँगे ! :) वो घर में थोड़ी बताते हैं अब सुगर बंद , क्यूंकि इससे कोई फायदा नही ! बल्कि नुक्सान ही करती है !
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हूं…………………….।
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हम सब शामिल ही नाहे यही सच परोसने को, एक पोस्ट लिख कर बैठा हूँ मगर एडिटिंग ही पूरी नही हो पा रही मन कहता है कि लिखा हुआ अधिक कड़वा सच है थोडी मिठास और ….! लोग चिपट जायेंगे, सो ऐसी लिखो की काम भी मन जाए और लोगों से पंगा भी ना हो ! आप ख़ुद भी खुल कर कहाँ बोल पा रहे हो ….समीर जी ही ठीक हैं …
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बिल्कुल सही कहा.
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@ उड़न तश्तरी – स्प्लेण्डा भी ठेल दी है। भले ही लोकल मार्केट में नहीं है, भद्र जनों के लिये इम्पोर्ट कर लिया जाये!
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bina laag lapet kae jo kehaa jaaye sach wahi hota haen par pachta nahin haen
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सुना है कैक्टाई में भी मन लुभावन फूल आते हैं. मुझे तो पसंद हैं अपनी एक अलग सी पहचान को स्थापित करते. आपको कैसे लगते हैं??
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किस दुनिया में टहल रहे हैं-उस दिशा में जाने की बात करते हैं, जहाँ से लोग मुख मोड़ रहे हैं-दोनों ही फोटो खारिज. अब स्पलेंडा का जमाना है. शुगर फ्री आउट ऑफ डेट हो रही है. वैसे भी शोध, प्रायोजित वाले जो कि अधिकतर शोध होते हैं, इसे स्वास्थय के लिए हानिकारक घोषित कर स्पलेंडा से प्रभावित हो चले हैं.वैसे भी जमाना आ चुका है, जो बेचना है..उसके फेवर में पहले शोध स्पॉन्सर करो..रेजेल्ट अपने फेवर में लाओ..भीड़ अपनी तरफ करो और फिर प्रोडक्ट लॉन्च करो. गुणवत्ता पर मार्केटिंग गुजरे जमाने की बात है..यह समय के साथ स्वतः हासिल हो लेती है-अकेले छूट जाने के भय में.आशा है अपनी बात कह पाया-न कह पाया हूँ तो भी कोई बात नहीं. कौन सुनता है!!!
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तो कड़वा सच का ज़माना लद ही गया
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