मैकदोनाल्द में देसी बच्चे


चार थे वे। आइसक्रीम ले कर काउण्टर से ज्यादा दूर चल कर सीट तलाशने का आत्मविश्वास नहीं था उनमें। सबसे नजदीक की खाली दो की सीट पर चारों बैठे सहमी दृष्टि से आस-पास देखते आइस्क्रीम खा रहे थे।

मैं आशा करता हूं कि अगली बार भी वे वहां जायेंगे, बेहतर आत्मविश्वास के साथ। मैकदोनाल्द का वातावरण उन्हें इन्टीमिडेट (आतंकित) नहीं करेगा। 


माइक्रोपोस्ट? बिल्कुल! इससे ज्यादा माइक्रो मेरे बस की नहीं!
ज्यादा पढ़ने की श्रद्धा हो तो यह वाली पुरानी पोस्ट – "बॉस, जरा ऑथर और पब्लिशर का नाम बताना?" देखें!
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सुना है सिंगूर से साणद सादर ढो ले गये टाटा मोटर्स को गुजराती भाई।Ha Ha


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

29 thoughts on “मैकदोनाल्द में देसी बच्चे

  1. पहली बार हवाई जहाज में या, फाइव स्टार होटल में या फिर मैकडोनाल्ड में अवस्था ऐसी ही होती है. हाँ शायद देसी न होते तो बचपन से ही कुछ अलग होते. हम (मैं) भी शायद इन देसी की श्रेणी में ही आते हैं… यही सच्चाई है.

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  2. कई अमीर ऐसे होंगे जो मैक्‍डी से वापस लौटने लगेंगे कि‍ यहॉं का माहौल भी खराब होने लगा है। गाजि‍याबाद के एक मॉल में एक व्‍यक्‍ति‍ को अंदर जाने नहीं दि‍या गया था क्‍यूँकि‍ वह चप्‍पल पहने हुए था। वर्ग भेद इतनी जल्‍दी मि‍टनेवाला नहीं है,बस आत्‍मवि‍श्‍वास की दरकार है।

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  3. जब इन बच्चों की आर्थिक स्तिथि बदलेगी तब आत्मविश्वास भी आ जायेगा….काश ये स्तिथि जल्द बदले!

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  4. ब्‍लाग अपने आप में एके विधा है । आपने इस पर ‘माइक्रो विधा’ शुरु कर दी है । उम्‍मीद करें कि जल्‍दी ही ‘हाइकू विधा’ सामने आएगी ।

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  5. कम शब्दों में बहुत बढ़ी बात कर गये आप, अनुभव से कहूँ तो ये आत्मविश्वास दूसरी बार में इससे कहीं ज्यादा होगा।

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  6. गुरुजी, कहते हैं कि एक तस्वीर कई बड़े समाचार से बड़ी होती है।आपकी यह माइक्रो पोस्ट नही है, बहुत ही बड़ी पोस्ट है।बस जरुरत है इसे समझने की।

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