मूंगफली की बंहगी


मूंगफली की बंहगी २ कल दिन भर कानपुर में था। दिन भर के समय में आधा घण्टा मेरे पास अपना (सपत्नीक) था। वह बाजार की भेंट चढ़ गया। चमड़े के पर्स की दुकान में मेरा कोई काम न था। लिहाजा मैं बाहर मूंगफली बेचने वाले को देखता रहा।

और लगा कि बिना बहुत बड़ी पूंजी के मूंगफली बेचना एक व्यवसाय हो सकता है। सड़क के किनारे थोड़ी सी जगह में यह धकाधक बिक रही थी। स्वस्थ वेराइटी की बड़े दाने की मूंगफली थी।

मूंगफली की बंहगीएक जगह तो बेचने वाला कार्ड बोर्ड की रद्दी और स्कूटरों के बीच सुरक्षित बैठा था। बेचते हुये खाली समय में मूंगफली छील कर वेल्यू-ऐडेड प्रॉडक्ट भी बना रहा था।

ये मूंगफली वाले पता नहीं पुलीसवालों को कितना हफ्ता और कितना मूंगफली देते होंगे। और इलाके का रंगदार कितना लेता होगा!

हम भी यह व्यवसाय कर सकते हैं। पर हमारे साथ एक ही समस्या है – बेचने से ज्यादा खुद न खा जायें।

अनूप शुक्ल की फोटो खींचनी थी। उनसे तो मिलना न हो पाया – यह मूंगफली की बंहगी वालों के चित्र ही खटाक कर लिये। क्या फर्क पड़ता है – खांटी कानपुरिया चित्र हैं।   


कल मैने सोचा तो पाया कि समाज सेवा ब्लॉगिंग से कहीं ज्यादा नोबल काम है। पर वह बहुत उत्तम दर्जे का अनुशासन और व्यक्तित्व में सब्लीमेशन (sublimation – अपनी वृत्तियों का उदात्तीकरण) मांगता है। जो व्यक्ति जीवन में प्रबन्धक की बजाय प्रशासक रहा हो – उसके लिये समाज सेवा ज्यादा कठिन कार्य है। पर, मैं गलत भी हो सकता हूं।

कल मुझे आप लोगों ने मेरे और अनूप जी के ब्लॉग पर जन्मदिन की बधाई दीं। उसका बहुत बहुत धन्यवाद। बधाई के चक्कर में पीटर ड्रकर की महत्वपूर्ण बात दब गयी! 



Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

35 thoughts on “मूंगफली की बंहगी

  1. बढ़िया लेख — और मूंगफली भी बढ़िया दिख रही है। मैं होता तो पांच रूपये की लेकर उधर ही कहीं थड़े-वड़े पर बैठ कर लुत्फ उठा लेता। सर, आप ने ऐसा क्यों नहीं किया ?

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  2. जन्मदिन की हमारी भी विलंबित शुभकामनाएँ। हमारे घरमें हम कच्चे मूँगफ़ली को pressure cooker में पकाते हैं।नमक/मसाला के साथ खाते हैंबेंगळूरु में साल मे एक बार मूँगफ़ली का एक विशेष मेला लगता है।मुख्य बाज़ारों में और कुछ खास सडकों पर मूँगफ़ली बेचने वाले जमा हो जाते हैं। हर कोई उस दिन मूँगफ़ली खरीदने निकलता है।सोचा यह बात आपको रोचक लगेगी।शुभकामनाएं

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  3. जन्मदिन की विलंबित शुभकामनाएँ। आपने सही कहा कि समाज सेवा सचमुच नोबल काम है और इस काम की खूबी यह है कि इसे करना इसके बारे में सोचने से भी आसान है.

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  4. नमस्कार ज्ञान जी , रोचक एवम् संक्षिप्त रचना के लिए धन्यवाद |कभी फ़ुर्सत से फ़ुर्सत मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आइए |विचार जो भी हो शिरोधार्य होंगे |लिंक है ……………………………..http://varun-jaiswal.blogspot.comधन्यवाद

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