मेरी पत्नी होली विषयक अनिवार्य खरीददारी करने कटरा गई थीं। आ कर बताया कि इस समय बाजार जाने में ठीक नहीं है। बेतहाशा भीड़ है। मैने यह पूछा कि क्या मन्दी का कुछ असर देखने को नहीं मिलता? उत्तर नकारात्मक था। मेरा संस्थान (रेलवे) बाजार से इन्सुलर नहीं है और मन्दी के तनाव किसी नContinue reading “मन्दी”
Monthly Archives: Mar 2009
एक गृहणी की कलम से
रीता पाण्डेय ने यह चार पेज का अपनी हैण्डराइटिंग में लिखा किसी नोटबुक के बीच का पुल-आउट पोस्ट बनाने के लिये दिया। वह मैं यथावत प्रस्तुत कर रहा हूं। सिंगमण्ड फ्रॉयड ने कभी कहा था कि स्त्रियां क्या चाहती हैं, यह बहुत बड़ा प्रश्न है और “मैं इसका उत्तर नहीं दे सकता”। यह एकContinue reading “एक गृहणी की कलम से”
बिल्लू की रिक्शा खटाल
गोरखपुर में गोलघर और मोहद्दीपुर को जोड़ने वाली सड़क पर रेलवे के बंगले हैं। उनमें से एक बंगला मेरा था। सड़क के पार थी रिक्शा खटाल। रिक्शा खटाल का मालिक बिल्लू सवेरे अपने सामने मेज लगा कर बैठता था। चारखाने की तहमद पहने, सिर पर बाल नहीं पर चंद्रशेखर आजाद छाप मूंछें। आधी बढ़ी दाढ़ी,Continue reading “बिल्लू की रिक्शा खटाल”
