रेत के शिवलिंग


दारागंज के पण्डा के दुसमन फिर दिखे। सद्यस्नात। गंगा के जल से गीली बालू निकाल कर अण्डाकार पिण्ड बना ऊर्ध्व खड़े कर रहे थे तट पर बनाये एक घेरे में। मैने पूछा क्या है तो बोले पांच शिवलिंग बना रहे हैं। फोटो लेने लगा तो कहने लगे अभी पांच बना लूं तब लीजियेगा। बनाने में खैरContinue reading “रेत के शिवलिंग”

अमृतलाल वेगड़ उवाच


पिछली टंकियाटिक पोस्ट  पर समीर लाल टिपेरे: अब आप कह रहे हैं, तो ठीके कह रहे होंगे। ठीके तो कह रहे थे – हम नहीं, समीरलाल। इतनी ज्यादा पोस्टें निपटाते हैं तो सोशियो-पोलिटिकली करेक्ट टिपेरना उन्ही से सीखना चाहिये! (कोई व्यंग इण्टेण्डेड नहीं। कल उनका जन्मदिन था, बहुत बहुत बधाई!) असल में हमारे जैसा कोईContinue reading “अमृतलाल वेगड़ उवाच”

टाइम खींच रही है ब्लॉगिंग


गूगल रीडर में हिन्दी की ब्लॉग फीड निपटाना भी कठिन पड़ रहा है। नवीनता भी बहुत नहीं मिल रही। बहुत से लोग (मैं भी) वही लिख रहे हैं – जो लिखते हैं। मैं नये शब्द तलाश रहा हूं – बड़े और गरुह शब्द नहीं; पर नयापन लिये सहज ग्राह्य शब्द। लगता है कि पुस्तकों कीContinue reading “टाइम खींच रही है ब्लॉगिंग”

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