नत्तू पांड़े का झूला


Nattu Allahabad4 नत्तू पांड़े, अपने दूसरे मासिक जन्मदिन के बाद बोकारो से इलाहाबाद आये और वापस भी गये।

उनके आते समय उनके कारवां में इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर मैं तो आगे आगे चल रहा था, वे पीछे रह गये। मुड़ कर देखा तो उनकी नानी उतरते ही उन्हें स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर एक पर अंत में बनी हजरत सैयद करामत अली उर्फ लाइन शाह बाबा की मजार पर प्रणाम करवा रही थीं।

मेरे साथ उनके कई लम्बे और गहन संवाद हुये। देश की अर्थव्यवस्था से ले कर भूमण्डलीय पर्यावरण, भारतीय दर्शन और भारत के भविष्य के बारे में बहुत मोनोलॉगीय डायलाग हुये। मैं समझता हूं कि उन्होने भविष्य में सब ठीक कर देने की हामी भरी है।

लाइन शाह बाबा की मजार को मैने कभी बहुत ध्यान से नहीं देखा था। नतू पांड़े की मार्फत मेरी धर्मिक आस्था में और विस्तार हो गया।  Nattu Allahabad5

नत्तू पांड़े अपना झूला ले कर आये थे। जाली वाला हवादार झूला। उसमें मक्खी-मच्छर नहीं जा सकते। सभी ने उस झूले के साथ बारी बारी फोटो खिंचाई! उसके बाद यहां चौक से उनका नया पेराम्बुलेटर भी आया। सबसे छोटे प्राणी के लिये घर भरा भरा सा लगने लगा।

उनके साथ और सभी ने अपने तरीके से सेवा की और खेले। क्या मौज थी!; पूरा परिवार उनकी चाकरी में लगा था। मेरे साथ उनके कई लम्बे और गहन संवाद हुये। देश की अर्थव्यवस्था से ले कर भूमण्डलीय पर्यावरण, भारतीय दर्शन और भारत के भविष्य के बारे में बहुत मोनोलॉगीय डायलाग हुये। मैं समझता हूं कि उन्होने भविष्य में सब ठीक कर देने की हामी भरी है। उनके इस प्रॉमिस को मुझे बारम्बार याद दिलाते रहना है!

नत्तू पांडे वापस बोकारो के लिये जा चुके हैं। उनके कार्यकलाप अभी भी मन में नाच रहे हैं।   Nattu Allahabad6


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

39 thoughts on “नत्तू पांड़े का झूला

  1. "उनके इस प्रॉमिस को मुझे बारम्बार याद दिलाते रहना है!"ध्यान रखियेगा कहीं उम्मीदों का ज्यादा बोझ न हो जाये, नत्तू पाड़े को आर्शीवाद |

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  2. नत्तु पांडे को हमारा आशीष।इस बार आपने मोनोलॉग सुनाया।अगली बार आप स्वयं नत्तु पांडे बन जाइए और एक शिशु का मन टटोलिए और लिख डालिए।नत्तु पाँडे की अतिथी पोस्ट की हम प्रतीक्षा करेंगे।शुभकामनाएंजी विश्वनाथ

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  3. "मेरे साथ उनके कई लम्बे और गहन संवाद हुये। देश की अर्थव्यवस्था से ले कर भूमण्डलीय पर्यावरण, भारतीय दर्शन और भारत के भविष्य के बारे में बहुत मोनोलॉगीय डायलाग हुये।"जब आप जैसे ग्रैंडपा का दिग्दर्शन हो तो संवाद लम्बे और गहन ही होंगे। जहां तक मोनोलौग की बात है तो उसकी चिंता न करें क्योंकि दो साल में आप उनकी भाषा बोलना सीख जायेंगे और फिर मोनोलौग दाइलौग में परिपूर्ण हो जाएगा.नत्तू पांडे को हमारे आशीर्वचन भी पहुंचें!

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  4. नत्तू पांडे जी एकदम अपने दादा नाना पर गये हैं इसी लिए अभी से इतने लंबे लंबे मोनोलोग बोलते हैं या सुनते हैं और बीच बीच में हूँ करते होगें । बहुत प्यारे लग रहे हैं झूले में , क्या इनका असली नाम भी नत्तू ही है?

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