शाम के समय घर आते आते कम से कम सवा सात तो बज ही जाते हैं। अंधेरा हो जाता है। घर आते ही मैरी पत्नीजी और मैं गंगा तट पर जाते हैं। अंधेरे पक्ष में तट पर कुछ दीखता नहीं। कभी दूर के तट पर कोई लुक्की बारता प्रतीत होता है। शायद टापुओं पर दिन में सब्जी की खेती करने वाले लोग रहते हैं। और शायद अवैध शराब बनाने का धन्धा भी टापुओं पर शिफ्ट हो गया है।
अत: अंधेरे में गंगाजी के तट को देखने के लिये हमने लालटेन खरीदी है। किरोसीन वाली नहीं, एवरेडी की एलईडी वाली चार बैटरी की लालटेन। यह हमारे लिये तो केवल गंगातट पर जाने के समय काम आती है, पर मुझे पता चला है कि ग्रामीण भारत में इसने रोशनी की क्रांति कर दी है।
एवरेडी वाले इसकी मांग के साथ आपूर्ति मैच कर पाने के लिये जद्दोजहद कर रहे हैं! इसमें जितनी बैटरी लगती है, उसकी अपेक्षा किरोसीन की बचत कहीं ज्यादा है। और रोशनी भी झकाझक! ढिबरी की रोशनी की तरह पीलियाग्रस्त नहीं।
घर में 2x1KVA के इनवर्टर होने के बावजूद यह उपकरण मुझे मुफीद बैठ रहा है तो ग्रामीण भारत वाले को तो यह जरूरत का हिस्सा लगता होगा!
एलईडी के भविष्य में बहुत घरेलू प्रयोग होने जा रहे हैं। और इसके भरोसे ग्रामीण परिदृष्य बहुत बदलेगा – यह आशा है।
एवरेडी एल.ई.डी. लालटेन की बिक्री – सोर्स, बिजनेस वर्ल्ड – ७ दिसम्बर’०९
आर.जे.डी. वाले अपने चुनाव चिन्ह में यह एल.ई.डी. वाली लालटेन रख लें तो शायद शुभ हो उनके लिये!

वाह जी बहुत सुंदर लाल्टेन है, हमारे पास तो मोमबत्ती वाली लालटेन है, वेसे हमारे यहां गंगा ही नही तो जायेगे कहा इस लाल्टेन को ले कर
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आपके पास ख़बरों का खज़ाना है…कमाल है…लालटेन पर भी शोध कर डाला…धन्य हैं आप…रोचक ज्ञान वर्धक पोस्ट…नीरज
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ज्ञानजी,और जानना चाहता हूँ।कीमत?Wattage? क्षमता?कितने घंटे चल सकता है?कहाँ उपलब्ध है?इसकी रोशनी से क्या बिस्तर पर पडे-पडे पुस्तक पढ़ सकते है?या मेज़ पर रखकर कोई विद्यार्थी अपनी पढ़ाइ कर सकता है?या केवल मोम बत्ती के बराबर रोशनी देती है?वजन कितना है?क्या एक ही आकार या size में उपलब्ध है या अधिक क्षमता वाला लालटेन भी उपलब्ध है?और आखिर, मेरी पत्नी अवश्य जानना चाहेगी कि क्या अलग अलग रंगों में उपलब्ध है? पत्नी साडियाँ अनेक रंगों में पहनती है और matching लालटेन भी चाहेगी।शुभकामनाएंजी विश्वनाथ
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अभी तो चारो ओर एल ई डी वाली टोर्च ही दिखायी देती इसमे भी अब चाईना वालो की बजाय भारतीय कम्पनीया आ रही है ।
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लालटेन……….हम्म्म्म्म … तो गोया आप अपने भूतपूर्व रेल मंत्री को नहीं भूल पाए :)
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एलईडी यानी लम्बी आयू, कम बिजली की खपत. इसे चार्ज करने के लिए सौर पेनल हो तो सोने में सुहागा हो जाए.
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मेरे पास एक ऋचार्जेबल कारनुमा (खिलौनानुमा) एलइडी वाला टेबल लैम्प है. चाइना में निर्मित. रात को सोने के पहले पढने में अच्छा काम आता है. इस लालटेन की जानकारी नहीं थी. हाँ ऐसे ही छोटेटॉर्च के बारे में सुन रखा है. इस बार घर गया तो उम्मीद है ये भी देखने को मिले.
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पुरानी लालटेन पर भूतों के कई किस्से चिपके रहते है.नई वाली की रौशनी में शुभ्र प्रकाश है.गांव में इसके आने से भूतों का क्या होगा?
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अब शायद लौ वाली लालटेन के शीशों पर चढ आए काले धुएं की स्याह परतें आपस में कहें – हमने किरासीन मिश्रित 'कालीफीताशाही' को नहीं तजा तो जनता ने हमें तज दिया :)उपयोगी चीज है।
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भारत के कुछ जगह पर तो ये लालटेन बहुत काम की साबित हो रही है….बिजली सरकार देती नही पूरी….तो जनता क्या करें….?पता नही वह दिन कब आएगा….जब इस की जरूरत नही रह जाएगी…..हर जगह रोशनी होगी…..वैसे ख्याली पुलाव है ये हमारा..;))एल ई डी लालटेन की जानकारी देने के लिए आभार।
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