ड्रीम गर्ल

Nand Yashoda पिछले दिनों हेमामालिनीजी का बंगलोर आगमन हुआ। आमन्त्रण रेलवे की महिला कल्याण समिति का था। कृष्ण की लीलाओं पर आधारित एक मन्त्रमुग्ध कर देने वाली नृत्य नाटिका प्रस्तुत की उन्होने। कुल 60 कलाकारों का विलक्षण प्रदर्शन, ऐसा लगा कि वृन्दावन उतर कर आपके सामने अठखेलियाँ कर रहा हो। मैं ठगा सा बैठा बस देखता ही रहा, एकटक निहारता ही रहा। सुन्दरता, सौम्यता, सरलता, निश्छलता और वात्सल्य, सब मिलकर छलक रहा था, यशोदा के मुखमण्डल से।

यह पोस्ट श्री प्रवीण पाण्डेय की बुधवासरीय अतिथि पोस्ट है। प्रवीण बेंगळुरू रेल मण्डल के वरिष्ठ मण्डल वाणिज्य प्रबन्धक हैं।

एक अनौपचारिक भोज का भी आयोजन था सायं, रेलवे क्लब में। बंगलोर का मनभावन वातावरण, बीते दिनों का संगीत और ड्रीम गर्ल का पदार्पण। रेलवे क्लब के त्यक्तमना परिवेश में उत्साह की सिरहन सी दौड़ गयी। चल-अचल सभी मिलकर जीवन्त हो उठे। बच्चे बीच बीच में मुलुक मुलुक कर सरक आते अपनी उपस्थिति जताने। मुख में मुस्कान और एक अदद ऑटोग्राफ की चाह। महिलायें अपने सौन्दर्य को सयत्न उद्घोषित करती हुयी हेमामालिनी के साथ एक चित्र उतरवाने के लिये लालायित थीं। ऐसे चित्र बाद में सौन्दर्य के तुलनात्मक अध्ययन में सहायक सिद्ध होते हैं। अपने बारे में कुछ न कुछ अच्छा दिख ही जाता है। यदि नहीं, तो हेमामालिनीजी जैसी साड़ी तो कहीं नहीं गयी है, पति महोदय को लानी ही पड़ेगी।

इस चक्रव्यूह के बाहर, भुलाया जा चुका निरीह पुरुष वर्ग, अन्मयस्क सा भोजन में व्यस्तता ढूढ़ रहा था। हमारे मंडल रेल प्रबन्धक जी को हमारे चेहरे पर टपकती लालसा दिखायी पड़ गयी।

Hema1 “प्रवीण, तुम मिले?”

“नहीं, सर।” सिकुड़ से गये बोलने में। इतना तो अपनी शादी में नहीं लजाये थे।

इतनी आत्मीयता से चक्रव्यूह में ले जाया गया कि अभिमन्यु को लगा ही नहीं कि महाभारत मचा है। मैं और सामने ड्रीमगर्ल। अभिवादन तो कर लिया पर उसके बाद समय शून्य, गला रुद्ध।

“आपके ग्रुप की कैटरिंग व ट्रांसपोर्ट, सब इन्होने ही कराया है।” मंडल रेल प्रबन्धक जी ने प्रशंसा कर गाड़ी स्टार्ट कर दी।

“मैडम, हम तो बचपन से आपकी ही फोटो देखकर बड़े हुये हैं।” भाव बिना पूछे ही शब्द बनकर निकल पड़े। सम्मोहन में सत्य संभवतः ऐसे ही निकल भागता है।

हेमामलिनीजी के चेहरे पर एक मुस्कान उमड़ आयी। अहा, इस बार अभिमन्यु जीत गया।

बचपन में हमने युवाओं की पूरी पीढ़ी को ड्रीम गर्ल के सपनों में उतराते देखा है। एक शायर की गज़ल, ड्रीमगर्ल। वह आकर्षण न कभी कम था, न होगा। समय के परे है यह अनकहा संवाद। आपको अपना कुछ याद आया?


आज प्रवीण के सौजन्य से हेमामलिनी की फोटो आई है ब्लॉग पर। धन्य हुआ।

वैसे कछार से गंगा के पानी में सहज भाव से हिलता चला जाता ऊंट, उगते सूरज के प्रतिबिम्ब की झिलमिलाहट में, एक नैसर्गिक नाटिका प्रस्तुत करता, मन्त्र मुग्ध करता है। और पास के मन्दिर और मस्जिद से आता है नेपथ्य का संगीत। ऊंट के सवार को जल्दी होती होगी टापू पर बनी हिरमाना की क्यारियों में पंहुचने की। पर हमें तो मोबाइल का कैमरा हाथ में लिये समय रुका सा लगता है। आप यह सत्ताइस सेकेण्ड का वीडियो देखें:


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

आपकी टिप्पणी के लिये खांचा:

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started