मैने कभी नहीं सोचा कि मैं इतिहास पर लिखूंगा। स्कूल के समय के बाद इतिहास बतौर एक डिसिप्लिन कभी देखा-पढ़ा नहीं। पर यहां इलाहाबाद के जिस शिवकुटी क्षेत्र में रहता हूं – गंगा के तट पर कोई चार-पांच सौ एकड़ का इलाका; वहां मुझे लगता है कि बहुत इतिहास बिखरा पड़ा है। बहुत कुछ को बड़ी तेजी से बेतरतीब होता जा रहा अर्बनाइजेशन लील ले रहा है। अत: यह जरूर मन में आता है कि इससे पहले कि सब मिट जाये या विकृत हो जाये, इसको इस ब्लॉग के माध्यम से इण्टरनेट पर सहेज लिया जाये।
मेरा किसी व्यक्तिगत काम के सन्दर्भ में श्री सुधीर टण्डन जी से मिलना हुआ। श्री टण्डन इलाहाबाद के प्रतिष्ठित टण्डन परिवार से हैं। मेरे घर के पास का रामबाग उन्ही की पारिवारिक सम्पत्ति है। (विकीमेपिया पर मेरी प्रस्तुत यह सामग्री देखने का कष्ट करें, जिसमें रामबाग की प्लेक के चित्र हैं। प्लेक में रामबाग के मालिक श्री रामचरन दास के साथ उसका सन भी लिखा है – सन 1898!)
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