कुम्हार और मिट्टी के दीये

मेरे दफ्तर जाने के रास्ते में तेलियरगंज के बाद चार पांच घर कुम्हारों के हैं। बरसात के महीनों में उनकी गतिविधियां ठप सी थीं। अब देखता हूं कि बहुत व्यस्त हो गये हैं वे। तन्दूर, गुल्लक, मटके आदि बनाने का काम तो सतत चलता है, पर इस समय दीपावली आने वाली है, सो दिये बनाने का काम जोरों पर है। चाक चला कर दिये बनाने का काम सवेरे होता है। मैं आज जब उनके पास से गुजरा तो दोपहर होने को थी। कोंहाइन (कुम्हार की पत्नी) दिये सुखाने के लिये जमा रही थी जमीन पर। हर परिवार का एक एक चाक था, पर उससे काम वे कर चुके थे। वह जमीन पर पड़ा दिखा।

भगवान इन लोगों को बरक्कत दें। प्लास्टिक – मोमबत्ती की बजाय लोग दिये पसन्द करें। दिवाली में चाइनीज एल.ई.डी. बल्ब की लड़ी की बजाय लोग इन दियों का प्रयोग करें।

प्रशांत भूषण को पीटने की बजाय जवान लोग गंगाजी की सफाई और दीयों के प्रचार प्रसार में जोर लगायें। उसी में मन लगा कर जै श्री राम होगा!

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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

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