भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
आज सवेरे सब यथावत था। सूरज भी समय पर उगे। घूमने वाले भी थे। घाट पर गंगाजी में पानी कुछ बढ़ा हुआ था। वह भैंसासुर की अर्ध-विसर्जित प्रतिमा पानी बढ़ने के कारण पानी में लोट गई थी।
किनारे पर पण्डा यथावत संकल्प करा रहे थे कार्तिक मास का। पास में सनीचरा रहता था कऊड़ा जलाये। आज वह नहीं था। एक और आदमी कऊड़ा जलाये था।
सनीचरा के सृजक नहीं रहे। “रागदरबारी” सूना है। सनीचरा भी जाने कहां गया आज!
Exploring rural India with a curious lens and a calm heart.
Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges.
Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh.
Writing at - gyandutt.com
— reflections from a life “Beyond Seventy”.
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23 thoughts on “घाट पर सनिचरा नहीं था”
आज मन बहुत उदास है।
इंदिरानगर, लखनऊ में उनके घर के बिल्कुल करीब रहते हुए उनके जाने का दुख और बड़ा लग रहा है।
विनम्र श्रद्धांजलि।
समय तो इस लिये है कि मेरे पास मालगाड़ी परिचालन, पुस्तक पठन और ब्लॉग के अलावा बहुत कम काम हैं! :lol:
इण्डिक आई.एम.ई. में अंग्रेजी/हिन्दी बदल के लिये Shift+Alt का प्रयोग कीजिये।
आज मन बहुत उदास है।
इंदिरानगर, लखनऊ में उनके घर के बिल्कुल करीब रहते हुए उनके जाने का दुख और बड़ा लग रहा है।
विनम्र श्रद्धांजलि।
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सनिचरा के सृजक नहीं रहे तो सनिचरा भी उन्हें फ़ालो कर रहा होगा! श्रीलाळ शुक्ल जी को हार्दिक श्रद्धांजलि॥
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श्रीलाल शुक्ल जी तो अमर हो गये हैं। ‘राग दरबारी’ के रचयिता को मेरा कोटि-कोटि नमन!
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With so much of work, how do you find time for nature also ? That is amazing.
(I forgot-which key combination is to be pressed for enabling Hindi ?)
Rawal
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समय तो इस लिये है कि मेरे पास मालगाड़ी परिचालन, पुस्तक पठन और ब्लॉग के अलावा बहुत कम काम हैं! :lol:
इण्डिक आई.एम.ई. में अंग्रेजी/हिन्दी बदल के लिये Shift+Alt का प्रयोग कीजिये।
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राग दरबारी से शुक्लजी अमर हो गये।
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सनीचरा आज नहीं तो कल फिर दिख जायेगा…..लेकिन रागदरबारी का वह अमर रचेता… :(
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न हुआ फिर न हुआ मीर का अंदाज नसीब!
.. वह व्यंग्य का अंदाजे-मीर न रहा! नमन कृतिकार को, सृजक ब्रह्म को! विनम्र श्रद्धांजलि!!
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रागदरबारी के सर्जक नहीं रहे। रागदरबारी तो वैसे ही गूंज रहा है।
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सनीचरा व उसके सृजक – दोनों की ही अनुपस्थिति दुख दे रही है।
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:-(
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