मोहन लाल को बीड़ी फूंकते पाया मैने। साथ में हीरालाल से कुछ बात कर रहे थे वे। आसपास गंगाजी की रेती में सब्जियां लगाने – बोने का उपक्रम प्रारम्भ हो चुका था। मैने बात करने की इच्छा से यूं ही पूछा – क्या क्या लगाया जा रहा है? सब कुछ – कोन्हड़ा, लौकी, टमाटर। लोगContinue reading “मोहन लाल और पच्चीस हजार वाले लोग”
Monthly Archives: Oct 2011
हाथ से मछली बीनते बच्चे – तकनीक का विकास
वे पहले हाथ से बीन रहे थे मछली। आज देखा तो पाया कि उन्होने तकनीक विकसित कर ली है। उसी जगह एक चादर का प्रयोग बतौर जाल के रूप में कर रहे थे। गंगाजी के पानी से बने तालाब में एक ओर से शुरू कर दूसरी ओर तक ला रहे थे चादर को। कोशिश करContinue reading “हाथ से मछली बीनते बच्चे – तकनीक का विकास”
हाथों से मछली बीनते बच्चे
वे चार बच्चे थे। गंगाजी जब बरसात के बाद सिमटीं तो छोटे छोटे उथले गढ्ढे बनने लग गये पानी के। उनमें हैं छोटी छोटी मछलियां। पानी इतना कम और इतना छिछला है कि हाथों से मछलियां पकड़ी जा सकती हैं। वे चारों हाथ से मछली पकड़ रहे थे। पकड़ना उनके लिये खेल भी था। एकContinue reading “हाथों से मछली बीनते बच्चे”
