सुरेश विश्वकर्मा के मोबाइल पर फोन आते ही रिंगटोन में एक महिला अपने किसी फिल्मी पैरोडी के गायन में आश्वस्त करने लगती थी कि भोलेनाथ ने जैसे अनेकानेक लोगों का उद्धार किया है; उसी तरह तुम्हारा भी करेंगे। समस्या यह थी कि यह उद्धार उद्घोषणा बहुत जल्दी जल्दी होती थी। वह मेरे वाहन का ड्राइवरContinue reading “विण्ढ़म प्रपात के आस पास”
Monthly Archives: Aug 2012
कुर्सियाँ बुनने वाला
मेरे दफ्तर में कॉरीडोर में बैठा मोनू आज कुर्सियाँ बुन रहा है। पुरानी प्लास्टिक के तार की बुनी कुर्सियों की फिर से बुनाई कर रहा है। बताता है कि एक कुर्सी बुनने में दो घण्टे लगते हैं। एक घण्टे में सीट की बुनाई और एक घण्टे में बैक की। दिन भर में तीन से चारContinue reading “कुर्सियाँ बुनने वाला”
मितावली स्टेशन के जीव
मितावली टुण्डला से अगला स्टेशन है दिल्ली की ओर। यद्यपि यहां से तीन दिशाओं में ट्रेने जाती हैं – दिल्ली, कानपुर और आगरा की ओर, पर तकनीकी रूप से इसे जंक्शन नहीं कहा जा सकता – आगरा की ओर यहां से केवल मालगाड़ियां जाती हैं। छोटा स्टेशन है यह – रेलवे की भाषा में रोडContinue reading “मितावली स्टेशन के जीव”
