खरपतवार का सौन्दर्य

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आज सवेरे गंगा किनारे बादल थे। मनोरम दृष्य। हवा मंद बह रही थी। नावें किनारे लगी थी। मांझी नैया गंगा किनारे।

पर आज को छोड़ कर पिछले एक महीने से गंगाजी के कछार में सवेरे मौसम खुला रहता था। कोहरे का नामोनिशान नहीं। क्षितिज पर न बादल और न धुंध।

सूर्योदय आजकल साफ और चटक दिखता है। सवेरे की रोशनी में वनस्पति, पक्षी और लोग तम्बई चमक से सुन्दर लगते हैं। जैसे जैसे सूरज आसमान में ऊपर उठाते हैं, तम्बई रंग सोने के रंग में बदलने लगता है। यह सारा खेल आधा पौना घंटे का होता है।

_conv_March191_0इस समय सभी वनस्पति- चाहे वह कछार की बोई सब्जियाँ हों, या रेत में बेतरतीब उग आये खतपतवार, सभी अत्यन्त सुंदर प्रतीत होते हैं।

पहले मैं सब्जियों के चित्र लेने में रूचि लेता था। सब्जियाँ, मडई, क्यारी सींचते कर्मी, पानी और खाद देने के उपक्रम आदि को ध्यान से देखता था। उनपर अनेक पोस्टें हैं ब्लॉग पर।

मेरे पास उपयुक्त कैमरा नहीं था, खरपतवार का सौन्दर्य चित्र में लेने के लिए। केवल सात मेगापिक्सल का कैमरा था। अब16 मेगापिक्सल वाला हो जाने से चित्र लगता है कुछ बेहतर आते हैं। अत: खरपतवार के चित्र लेने का प्रयास करने लगा हूँ।

इसमे से कुछ चित्र ओस की बूंदों को झलकाते पौधों के भी हैं। पौधों की पत्तियों पर लगे मकड़ी के जालों पर जमा ओस की बूंदों का अपना अलग प्रकार का सौन्दर्य है!

आप चित्र देखें। मोबाइल से चित्र अपलोड करने में झंझट रहा। जो अन्तत: “लैपटॉप शरणम् गच्छ” से ठीक हुआ!
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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

9 thoughts on “खरपतवार का सौन्दर्य

  1. हमें वो खोपड़ी वाली तस्वीर बहुत पसंद आई थी, पुराने पोस्ट वाली। उसे इस्तेमाल करने का इरादा है।

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  2. रवि रतलामी की ई-मेल से प्राप्त टिप्पणी –
    आजकल आपका ब्लॉग साइन इन मांगता है, टिप्पणी करने को.
    एक और साइन इन! बाप रे! यह तो बेहद झंझट भरा है. कुछ करें.

    बहरहाल, ये रही ताजा पोस्ट पर ताजा टिप्पणी – लिख डाली थी, पोस्ट नहीं हो रही थी, जाया हो रही थी तो यहाँ चेंप दी है. चाहें तो चिपका दें वहाँ –

    मेगा पिक्सेल से चित्र की गुणवत्ता का खास कोई लेना देना नहीं होता है. जैसे कि यदि आप कोई बढ़िया एसएलआर कैमरा ट्राइपॉड पर रख कर चित्र खींचें तो कम मेगापिक्सल (यहाँ तक कि वीजीए मोड में, जिसमें पिक्सेल किलोबाइट में होते हैं!) में ही शानदार चित्र आ जाएंगे.

    सादर,
    रवि

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    1. ट्राइपोड से चित्र लेने में धैर्य अधिक चाहिये। अभी तो मैं प्वॉइण्ट एण्ड शूट का नौसिखिया हूं। बल्कि – शूट फर्स्ट, फोकस ऑफ्टरवर्ड्स – का कॉन्सेप्ट ललचाता है।
      मोबाइल में एक साइलेण्ट कैमरे का एप्प है, जिसमें जब जब तक न रोको दनादन फोटो खींचता है। उसमें से मनपसन्द रख कर शेष डिलीट की जा सकती हैं। कार में चलते हुये उसका प्रयोग करता हूं मैं।
      आपने जो कहा, वह सही है। कई बार वीजीए मोड में अच्छे चित्र आ गये हैं मेरे द्वारा भी!

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  3. तो नये कैमरा की टैस्टिंग चल रही है, बधाई। मॉडल कौन सा और कित्ते का पड़ा?

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  4. अब16 मेगापिक्सल वाला हो जाने से चित्र लगता है कुछ बेहतर आते हैं।

    कैमरा अच्छा होते ही खर-पतवार के दिन बहुरे। जय हो!

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  5. 16 मेगापिक्सल, अब तो खरपतवार के अन्दर छिपी बात भी पता चल जायेगी, हमारी तो आधी ही पता चलती है, ८ मेगापिक्सल का जो है।

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