शैलेश गुप्तकाशी से चल कर फाटा में हैं। फाटा से मन्दाकिनी के उस पार करीब 10-15 गांवों की सूची है उनके पास। उन गांवों में लगभग चार-पांच हजार लोग हैं को राहत से कटे हैं। भूस्खलन से वहां जाना दुर्गम है। सड़क मार्ग से राहत गुप्तकाशी से कालीमठ-चौमासी होते हुये करीब 70 किलोमीटर चल कर वहां पंहुचाई जा सकती है।

फाटा से मन्दाकिनी के उस पार स्थान नीचाई पर है। नदी करीब 70 मीटर चड़ाई में है। अगर ग्रेविटी रोप-वे बनाया जाये (पुली के माध्यम से धरती की गुरुत्व शक्ति का प्रयोग कर रस्सी पर लटका कर राहत लुढ़काई जाये) तो काफी राहत तीव्रता से रेलगांव क्षेत्र में भेजी जा सकती है। जो स्थान/गाव इससे लाभ पायेंगे वे हैं – ग्रामसभा जाल- रेलगांव 600 लोग, जलतल्ला 700, चौमासी 1100, शायूगढ़ 300, ब्योंखी 1200, कुंजेठी – 500, कालीमठ 300, कबील्था 700, मनेरा 200 और खोम 300 की आबादी वाले आदि।

अभी शैलेश को सात-आठ हेलीकॉप्टर राहत सामग्री ले कर जाते दीख रहे हैं। पर ये कब तक काम करेंगे और इनकी लागत भी निश्चय ही बहुत होगी। शैलेश का विचार यह रोप-वे चार पांच दिन में कार्यांवित करने का है। इसमें (उनके अनुसार 2-3 लाख का खर्च आयेगा। लोगों ने सहायता देने की बात कही थी। अब वे उनके साथ सम्पर्क करेंगे। अगर सहायता मिली तो ठीक वर्ना अपने रिसोर्स इस यज्ञ में होम करने का विचार पक्का कर चुके हैं वे।
शैलेश के अनुसार; यही काम सरकार भी कर सकती है। पर शायद वहां सभी करने में समय बहुत ज्यादा लगता है। यही काम होने में महीना लग सकता है। आवश्यकता त्वरित काम करने की है।
शैलेश ने मुझे सामान की जरूरत भी बताई – उचित स्पेसीफिकेशन की 150 मीटर रस्सी देहरादून से खरीदनी पड़ेगी। वे लगभग छ पुली लेने की सोच रहे हैं। इसके अतिरिक्त कुछ और रस्सी भी चाहिये होगी। वे यह सामान ग्रामीणों को दे बनाने में उन्हे जोड़ना चाहते हैं। एक फेसीलिटेटर की भूमिका निभाते हुये।
मैने इण्टर्नेट पर ग्रेविटी रोप-वे के बारे में सर्च किया तो बहुत लिंक मिले। शैलेश तो वहां फाटा में हैं; मुझे यहां इलाहाबाद बैठे इस योजना की सरलता सोच कर जोश आ रहा है। ग्रेविटी माल ढुलाई की रोप वे बनाने का एक 6MB का मैनुअल भी मैने डाउनलोड कर लिया है!

जो लोग सहायता देना चाहें, वे शैलेश पाण्डेय को सम्पर्क करें; जो दुआ करना चाहते हैं, वे नीचे टिप्पणी में करें! 😆




इस पोस्ट में आगे मिले इनपुट्स के आधार पर एडिटिंग सम्भव है।
शुभकामना शैलेष को, उनके साहस और परोपकार भावना को सलाम।
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रोपवे निश्चय ही उत्कृटतम समाधान है, जहाँ जहाँ संभव हो उपयोग में लाना चाहिये।
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फौरी तौर पर इस तरह के रोप वे अधिक से अधिक बनाया जाना चाहिए जब तक सड़कों से संपर्क जुड़ न जाए…
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हां, शैलेश का कहना है कि उस क्षेत्र में इस तरह की पांच छ बननी चाहियें!
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शैलेश अपने काम में सफ़ल हों। शुभकामनायें।
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