गोनूडीह की ओपनकास्ट खदान

कुसुण्डा, धनबाद के पास अण्डरग्राउण्ड कोयला खदान (गोधर कोलियरी) देखने के बाद मैं BOBR वैगनों में कोयला लदान देखने के लिये कुसुण्डा2 साइडिंग में गया। कुसुण्डा के यार्डमास्टर श्री चटर्जी ने बताया कि वहां सड़क मार्ग से भी जा सकते हैं और प्लेसमेण्ट के लिये जाने वाले कोल-पाइलट (इंजन जो कोयले का रेक ले कर साइडिंग में जाता है, पाइलट कहाता है) पर चढ़ कर भी। वे हमें कोल पाइलट में ले कर गये।

रास्ता कोयलामय था। कहीं लोग कोयला इकठ्ठा कर जला रहे थे - हार्ड कोक बनाने के लिये।
रास्ता कोयलामय था। कहीं लोग कोयला इकठ्ठा कर जला रहे थे – हार्ड कोक बनाने के लिये।

रास्ता कोयलामय था। कहीं लोग कोयला इकठ्ठा कर जला रहे थे – हार्ड कोक बनाने के लिये। यह हार्डकोक (फोड़) ईन्धन के रूप में या साइकल पर ले जा कर मार्किट में बेच कर आमदनी के लिये करते हैं वे। कहीं अण्डरग्राउण्ड खदान से निकला पानी पाइप के माध्यम से बाहर फैंका जा रहा था और उसमें लोग नहा रहे थे। श्रमिकों और रेल कर्मियों की बस्तियां थीं। छोटे छोटे मकान, झोंपड़ी नुमा। आशा से ज्यादा साफसुथरे। कोयला बेच कर प्रतिदिन 400 रुपये की आमदनी और परिवार में सभी का उस काम में लगे रहना एक अच्छी खासी कमाई का संकेत देता है; पर जीवन स्तर उसके अनुरूप नजर नहीं आता था। जीवनस्तर की मध्यवर्गीय मानसिकता – जो उस स्तर की आमदनी के साथ जुड़ी रहती है, का नितांत अभाव दिखा मुझे। पैसा निश्चय ही अनेक कुटेव-कुरीतियों में जा रहा होग। वह कोण पता करने के लिये मैं उचित माहौल/मानसिकता में नहीं जा रहा था। आप उसके लिये साहब की तरह नहीं जाते…

साइडिंग लगभग कोयला विहीन थी। पिछले दिनों की बरसात में वहां कोयले का खनन न होने से आमद नहीं हो पायी थी।
साइडिंग लगभग कोयला विहीन थी। पिछले दिनों की बरसात में वहां कोयले का खनन न होने से आमद नहीं हो पायी थी।

कुसुण्डा2 साइडिंग में रेक प्लेस हुआ। साइडिंग लगभग कोयला विहीन थी। पिछले दिनों की बरसात में वहां कोयले का खनन न होने से आमद नहीं हो पायी थी। बीसीसीएल के साइडिंग एजेण्ट श्री सुनील निगम ने बताया कि यह रेक तो एक डेढ़ दिन तक लोड नहीं हो पायेगा। मेरी लदान की प्रक्रिया देखने की इच्छा वहीं दब गयी।

मेरे साथ चल रहे धनबाद रेल मण्डल के सहायक परिचालन प्रबन्धक श्री सन्दीप कुमार ने बताया कि पास ही में एक एक्स्केवेटर जमीन खोद कर ओपनकास्ट खदान बनाने का उपक्रम कर रहा है। चित्र लेने के उत्साह में मैने ध्यान नहीं दिया कि खोदी गयी जमीन ऊपर से सूखी है, पर सूखी पपड़ी के नीचे दलदल है। मेरे पैर उस दलदल में धंस गये। लगभग टखने तक। चमड़े का रेड-चीफ का (मेरे बजट के हिसाब से) मंहगा जूता और मेरा पतलून कोयला-कीचड़ मिश्रित दलदल से सन गया। यह तो गनीमत थी, कि दलदल और गहरी नहीं थी, और टखने तक धंसाव के बाद मैं सम्भल गया। हमारे साथ चल रहे टी.आई. श्री संजीव कुमार झा ने आगे बढ़ कर मुझे उस दशा से उबारा। तीन चार बालटी पानी, गेटमैन की लाल-हरी झण्डी व उनका गमछा प्रयोग करते हुये पैर व जूता इस दशा में लाये गये, जिससे मैं अपना आगे का कार्यक्रम जारी रख सकूं। झा जी ने बहुत सहायता की ऐसे में।

ओपनकास्ट माइन बनाने वाले दृष्य़ को खैर कैमरे में लेना नहीं भूला मैं! बहुत मंहगा पड़ा था यह दृष्य मुझे!
ओपनकास्ट माइन बनाने वाले दृष्य़ को खैर कैमरे में लेना नहीं भूला मैं! बहुत मंहगा पड़ा था यह दृष्य मुझे!

ओपनकास्ट माइन बनाने वाले दृष्य़ को खैर कैमरे में लेना नहीं भूला मैं! बहुत मंहगा पड़ा था यह दृष्य मुझे!  😆

बीसीसीएल के अधिकारी महोदय ने कहा कि वे हमें पास की एक ओपनकास्ट माइन तक ले चलेंगे अपनी कार में। उनके साथ हम गोनूडीह ओपनकास्ट खदान देखने गये। विशालकाय खदान क्षेत्र। हम लोग ऊंचाई पर खड़े थे। नीचे विस्तृत खदान थी। उसके एक हिस्से में खनन चल रहा था। एक तरफ दोपहर 1 से 2 बजे के बीच होने वाले कोयले के विस्फोट की तैयारी करती ड्रिलिंग मशीन कार्यरत थी। ऊंचाई से देखने पर ये ड्रिलिन्ग, एक्स्केवेटर, डम्पर आदि बच्चों के खिलौनों जैसे लग रहे थे। कार्यरत कर्मी तो बहुत ही छोटे प्रतीत होते थे।

विशालकाय खदान क्षेत्र। हम लोग ऊंचाई पर खड़े थे। नीचे विस्तृत खदान थी। उसके एक हिस्से में खनन चल रहा था।
विशालकाय खदान क्षेत्र। हम लोग ऊंचाई पर खड़े थे। नीचे विस्तृत खदान थी। उसके एक हिस्से में खनन चल रहा था।

ऊंचाई पर हम लोगों के पास एक व्यक्ति कोयला खनन/वहन का असेसमेण्ट के लिये एक ट्राइपॉड पर दूरबीन लगाये हुये थे। नीचे अपने सहकर्मी से वे मोबाइल के माध्यम से बात कर रहे थे। दूरबीन और मोबाइल के माध्यम से लगभग वैसे वार्तालाप हो रहा था, मानो वीडियो-कांफ्रेंसिंग हो रही हो। पता नहीं यह मानक तकनीक है या विशुद्ध हिन्दुस्तानी जुगाड़मेण्ट! यह तकनीक मुझे बहुत पसन्द आयी!

एक व्यक्ति कोयला खनन/वहन का असेसमेण्ट के लिये एक ट्राइपॉड पर दूरबीन लगाये हुये थे। नीचे अपने सहकर्मी से वे मोबाइल के माध्यम से बात कर रहे थे।
एक व्यक्ति कोयला खनन/वहन का असेसमेण्ट के लिये एक ट्राइपॉड पर दूरबीन लगाये हुये थे। नीचे अपने सहकर्मी से वे मोबाइल के माध्यम से बात कर रहे थे।
ओपनकास्ट खदान के एक ओर जहां पर्याप्त खनन हो चुका था, पानी की एक झील बन चुकी थी।
ओपनकास्ट खदान के एक ओर जहां पर्याप्त खनन हो चुका था, पानी की एक झील बन चुकी थी।

ओपनकास्ट खदान के एक ओर जहां पर्याप्त खनन हो चुका था, पानी की एक झील बन चुकी थी। खनन के बाद बनने वाले इस तरह के गढ्ढों को भरने के विषय में भी कोई नियम होगा … पर उस नियम के पालन में कोई गम्भीरता या कड़ाई हो, ऐसा प्रतीत नहीं हुआ।

सुनील निगम जी अपनी समस्यायें बताने में पूरी तरह नहीं खुले, पर उनसे बात करने पर मुझे लगा कि माइनिंग के लिये जमीन का अधिग्रहण और एनवायरमेण्टल क्लियरेंस बड़े अवरोध हैं। कोयले में माफिया की दखलन्दाजी, राजनैतिक दलों/यूनियनों की चौधराहट और कोल इण्डिया की अपनी अक्षमता/भ्रष्टाचार आदि तो घटक होंगे ही। खैर, वह सब पता करने के ध्येय से मैं वहां गया भी नहीं था, और अपनी पतलून, रेड-चीफ का जूता कीचड़ में सानने के बाद बहुत उत्साह बचा भी न था।

यह सब देखने के बाद जब कुसुण्डा के एक केबिन पर यार्ड मास्टर श्री चटर्जी जी ने फ्रूट-जूस पिलाया तो सरलता से गटक गया मैं – कोई ना नुकुर नहीं किया कि मुझे टाइप 2 डाइबिटीज़ है!

बहुत अच्छा लगा कुसुण्डा, धनबाद में यह देखना। मौका मिलेगा तो फिर जाना चाहूंगा। विकल्प रहे कि ताजमहल देखना हो या यह खदान क्षेत्र; तो इसी क्षेत्र में आना चाहूंगा।

ऑफकोर्स, अगली बार सस्ते जूते पहन कर आऊंगा! 😆

गूनूडीह खदान का एक अन्य दृष्य
गोनूडीह खदान का एक अन्य दृष्य
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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

3 thoughts on “गोनूडीह की ओपनकास्ट खदान

  1. गोनूडीह – क्या अजब सा नाम है!
    रेड चीफ के जूते ख़राब किये आपने – सलमान खान बहुत गुस्सा होंगे 🙂

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  2. तालचर की याद दिला दी आपने। यन्त्र दुरबीन नहीं वरन स्टेशन इन्सट्रूमेन्ट है, सर्वे करने के काम आता है, कि कितना ख़ुद गया और अभी कितना और ख़ुद सकता है।

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