“मेरा कौन पढ़ेगा” : गौरव श्रीवास्तव से मुलाकात

गौरव का फ़ेसबुक स्नैपशॉट
गौरव का फ़ेसबुक स्नैपशॉट

गौरव श्रीवास्तव पढ़ाकू जीव हैं। मोतीलाल नेहरू टेक्नॉलॉजी संस्थान के डॉक्टरेट के रिसर्च स्कॉलर। संकोची व्यक्ति। वे इस ब्लॉग के नियमित पाठक हैं। यहीं पास में उनका कार्य क्षेत्र है – मेरे घर से डेढ़ किलोमीटर दूर। पर मुझसे कभी मिले नहीं। जब उन्हे पता चला कि मैं यहां से गोरखपुर स्थानान्तरण पर जा रहा हूं तो वे मेरे जाने के पहले मुझसे मिलने की ठान लिये। फेसबुक पर उन्होने मुझसे सम्पर्क किया। मैसेज के आदान-प्रदान में फोन नम्बर भी लिये-दिये और शनिवार 15 फरवरी को जद्दोजहद से मेरे घर को तलाश कर मेरे पास थे। हम लोग करीब डेढ़ घण्टा साथ रहे।

गौरव श्रीवास्तव, मेरी पत्नीजी रीता पाण्डेय के साथ
गौरव श्रीवास्तव, मेरी पत्नीजी रीता पाण्डेय के साथ

“मेरा कौन पढ़ेगा” कहने वाले बहुत से लोग होंगे। पर सोशल मीडिया के माध्यम से अभिव्यक्ति का जो विस्फोट हम देख रहे हैं, उसमें हम सामान्यजन अपने जीवन में जो भी सामान्यता-असमान्यता से मुखातिब हैं, उससे परिचय पाने को बहुत से लोग उत्सुक होंगे और बहुत से लालायित भी। …इसलिये  “मेरा कौन पढ़ेगा” सार्थक  सही कथन नहीं…


मेरे लिये यह बहुत खुशी का विषय था कि वे मुझसे मिलने आये। हिन्दी ब्लॉगिंग और फ़ेसबुक/ट्विटर की उपस्थिति के कारण लगभग लगभग 15-20 व्यक्ति शिवकुटी में मेरे इस घर में; जिसको ढूंढने के लिये पर्याप्त भटकना पड़ता है – सड़क गली मुहल्ले को बहुधा लोग कन्फ्यूज कर गलत जगह बता देते हैं; मिलने आ चुके हैं। यह एक प्रकार से सोशल मीडिया की सशक्तता का प्रमाण है।

गौरव मुझसे ही मिलने आये हों, ऐसा नहीं है। वे उड़न तश्तरी (समीर लाल) से टोरन्टो जा कर मिल चुके हैं। समीर लाल तो उनसे मिलने के लिये काफी यात्रा कर आये। अनूप शुक्ल से उनकी बहुधा लम्बी बातचीत हुआ करती है। गौरव को यह मलाल है कि अनूप मोतीलाल इन्स्टीट्यूट में एल्यूमिनी मीट में आये थे, पर यहां होते हुये भी वे उनसे नहीं मिल पाये। अनूप उनको उनके पारिवारिक जीवन में भी एक बड़े और सीनियर के रूप में सलाह देते रहते हैं – गौरव ने मुझे यह बताया। और अनूप का यह रोल मुझे बहुत अच्छा लगा। उन्ही की तर्ज पर मैने भी गौरव से कुछ कहा। मुझे लगता है एक पीढ़ी ब्लॉग और सोशल मीडिया के माध्यम से हम में रोल मॉडल्स खोजती-तलाशती है; अगर हम उस रोल-मॉडलत्व को ईमानदारी से अंश मात्र भी निभा पाते हैं तो अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन हुआ वह!

मेरा ब्लॉग गौरव बहुत अर्से से पढ़ते रहे हैं। उन्होने कई पोस्टों और कई पात्रों का जिक्र किया मेरे ब्लॉग की। मेरे कई कथ्यों/टिप्पणियों से परिचय है उनका। वे ऐसे पाठक हैं, जिनपर कोई भी ब्लॉगर गर्व कर सकता है। गौरव अर्से से – कई वर्षों से – मुझसे मिलना चाहते थे; ऐसा मुझे बताया उन्होने।

गौरव प्रशान्त प्रियदर्शी, नीरज रोहिल्ला और अभिषेक ओझा के ब्लॉग भी सतत पढते हैं और इन लोगों के व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ जानते हैं। उनके लेखन से बहुत प्रभावित भी हैं। मैने गौरव से पूछा – वे खुद क्यौं नहीं लिखते? गौरव ने उत्तर दिया – मेरा कौन पढ़ेगा?!

“मेरा कौन पढ़ेगा” कहने वाले बहुत से लोग होंगे। पर सोशल मीडिया के माध्यम से अभिव्यक्ति का जो विस्फोट हम देख रहे हैं, उसमें हम सामान्यजन अपने जीवन में जो भी सामान्यता-असमान्यता से मुखातिब हैं, उससे परिचय पाने को बहुत से लोग उत्सुक होंगे और बहुत से लालायित भी। मसलन गौरव अपने कैरियर बनाने के लिये जिस जद्दोजहद से गुजरे या गुजर रहे हैं और अपने परिवार के साथ जिस सेण्टीमेण्टालिटी के साथ जुड़े हैं, वह जानने और उस पर गहन चर्चा करने को एक पूरी पीढ़ी तैयार बैठी है। उसपर चेतन भगत छाप कालजयी उपन्यास ठेलने में लगे हैं। गौरव कई लोगों के लिये प्रेरणा बन सकते हैं और कई लोगों के रोल मॉडल। इसलिये  “मेरा कौन पढ़ेगा” सार्थक सही कथन नहीं…

गौरव के पिताजी यहीं जी.आई.सी. में रसायन शास्त्र के व्याख्याता थे। अब रिटायर्ड हैं। उनके बड़े और छोटे भाई नौकरी में हैं। वे अपनी डॉक्टरेट की रिसर्च पूरा कर रहे हैं। मध्यवर्गीय परिवार अपनी सफलताओं और जद्दोजहद पर चढ़ता-उतरता-रमता रहा है। बड़ी सरलता से, बड़ी स्पष्टता से गौरव ने उन सब के बारे में बताया। पता नहीं गौरव यह जानते हैं या नहीं, वे संकोची और सेण्टीमेण्टल होने के बावजूद (या साथ साथ) अपने को अभिव्यक्त करने में दक्ष हैं। भविष्य में उन्हे अपनी इस दक्षता को और परिमार्जित भी करना चाहिये और दोहन भी।

उनके चलते हुये मेरी पत्नीजी ने उनसे कहा कि वे तो इलाहाबाद में रहेंगी ही – भले ही मैं गोरखपुर में रहूं। गौरव कभी भी घर आ सकते हैं।

अच्छा लगा हम लोगों को गौरव के साथ। स्वागत और शुभकामनायें गौरव!

गौरव श्रीवास्तव। हमारे ड्राइंग रूम में।
गौरव श्रीवास्तव। हमारे ड्राइंग रूम में।

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

12 thoughts on ““मेरा कौन पढ़ेगा” : गौरव श्रीवास्तव से मुलाकात

  1. गौरव जी के बारे में जानकर अच्छा लगा.
    आपकी लिखने वाली बात से सहमति है.
    अज्ञेय जी का लिखा पढ़ा था, शायद ‘शेखर एक जीवनी में, कि यदि लोग सिर्फ अपने जीवन के बारें में लिखना शुरू कर दें तो दुनिया में अच्छी पुस्तकों की कभी कमी न हो.

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  2. गौरव से मुलाकात का वृत्तांत पढ़कर अच्छा लगा. इन दिनों मेरी मुलाकात भी ब्लॉग/सोशल मीडिया का मार्फत कई लोगों से हुई है. जिस तरह की चीजें मैं लिखता/शेयर करता हूं उनके आधार पर मेरे पाठक/मित्र भी मेरी एक छवि गढ़ लेते हैं जो सटीक होने से कोसों दूर है. 😦

    बहरहाल.. आप तो हमारे रोल मॉडल हैं और रहेंगे. 🙂

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    1. मेरे लिये आपने इतने मधुर शब्द प्रयोग किये, और भाव भी! बहुत धन्यवाद, निशांत!

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  3. @ ”मेरा कौन पढ़ेगा” सही कथन नहीं…
    – आपसे पूर्णतः सहमत हूँ। गौरव श्रीवास्तव रिसर्च स्कॉलर। हैं। वे पहले ही बहुत कुछ लिखते रहे होंगे जिसका बड़ा भाग दूसरों ने नहीं पढ़ा होगा। मेरे ख्याल से कुछ विशिष्ट उद्देश्यों के सिवाय कोई भी काम केवल दूसरों के पढ़ने/देखने/बरतने/समझने आदि के लिए किए जाने की बात सोचना सही नहीं है। यदि वे कुछ उद्देशयात्मक लिखते हैं तो कितने ही लोग अपनी आवश्यकतानुसार उसे खोजते हुए पढ़ने पहुँच ही जाएँगे।

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  4. ध्यानवाद सर , मेरे बारे में लिखने के लिए । मुझे भी आप सभी से मिलकर बहुत अच्छा लगा । थोडा अफसोस भी हुआ कि मुझे तो आप से बहुत पहले ही मिलने की कोशिश करनी चाहिये थी । मेरा इतना संकोच करना सही नहीं था। सच्चाई तो ये है कि आप सभी मुझसे इतने अच्छे से मिले कि मुझे लगा ही नहीं कि मै आप सभी से पहली बार मिल रहा हूँ। मै बहुत कम्फ़र्टेबल महसूस कर रहा था , इसीलिये मै आप से अपने मन की बातें कह पा रहा था । कोशिश रहेगी मै आगे भी मौका मिलने पर आप सभी से मिल सकूं । जब मै कल आप से मिल कर वापस जा रहा था तो बहुत प्रसन्नता का अनुभव कर रहा था। कई सालो से आप से मिलने कि अभिलाषा पूरी हो गयी थी । आगे भी आप से मिलकर कुछ नया सीखने और समझने कि कोशिश रहेगी। मुझे समय देने के लिये ध्यानवाद सर ।

    रेगार्ड्स-
    गौरव

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  5. एक बार लिखना प्रारम्भ कर देंगे, विचारों का प्रवाह बन जायेगा। लेखन से विचार व्यवस्थित होना भी प्रारम्भ हो जायेंगे।

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  6. गौरव से मिलाने के लिए शुक्रिया! मेरी शुभकामानाएं उनकी जिज्ञासा की प्रवृति के लिए जो उनको आप तक ले आई! गौरव आप तरक्की करें! जानने की लालसा आगे भी यूँही जगाए रखे! मंगलमय भविष्य की कामनाओं सहित!

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